July 27, 2024

संजीव कुमार भटनागर

दिवस दूसरा पूजिए, ब्रह्मचारिणी रूप|

मिश्री माँ मन भोग है, उत्तम और अनूप||

ब्रह्मचारिणी रूप की, लीला अद्भुत जान|

ब्रह्मा विष्णु महेश भी, करते खूब बखान||

श्वेत वस्त्र माँ धारिणी, गौर वर्णिका रूप|

संयम आभा को लिए, शंकर चाह अनूप||

महादेव पति रूप हों, तपस्या का विचार|

निराहार निर्जल करे, माँ तप बरस हज़ार||

ब्रह्मचारिणी मात को, पूजे है संसार|

शिक्षा विवेक मात दे, मिलता ज्ञान अपार||

तप की माँ प्रतिमूर्ति है, ब्रह्मचारिणी नाम|

हाथ कमंडल आपके, माला जपना काम||

उर में महेश धर लिए, किया कठिन उपवास|

अगम तपस्या से मिला, शिव हृदय में निवास||

वैरागी तप त्याग है, भव्य मात का रूप|

तपश्चारिणी ज्ञान से, होता जग अनुरूप||

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