कानपुर। प्रदेश के कई जिलों में चिकन पॉक्स के मरीजों की संख्या बढ़ती देख नगर का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क और सचेत हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों को भी अलर्ट मोड पर रहने को कह दिया है। डाक्टरों को निर्देश दिए गए है कि लक्षण दिखने वाले मरीजों को तत्काल प्रभाव से आइसोलेट करने का काम किया जाए। कानपुर मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. डीपी शिवहरे ने बताया कि ये रोग एक प्रकार का वेरीसेला जोस्टर नामक वायरस के कारण फैलता हैं। इसके होने से मरीज के पूरे शरीर में दाने और छाले जैसे पड़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि ये एक संक्रमित बीमारी है। ये हवा और खांसी के माध्यम से एक से दूसरे में फैल जाता है। इस लिए इसमें बचाव ही सबसे बड़ा रास्ता है। हैलट अस्पताल के मेडिसिन विभाग, चर्म रोग विभाग और बाल रोग विभाग की ओपीडी में इन दिनों रोजाना 10 से 15 मरीज चिकन पॉक्स के लक्षण वाले पहुंच रहे हैं। इसे आम भाषा में चेचक भी कहते हैं। वहीं, कुछ लोग इसे माता भी बोलते हैं। इन मरीजों को शरीर पर दानें, छाले के साथ तेज बुखार और सिरदर्द भी होता है। मेडिसिन विभाग के प्रो. बीपी प्रियदर्शी ने बताया कि चिकन पॉक्स वायरल इंफेक्शन है, जो पानी के माध्यम से भी फैल सकता है। यह एक छुआछूत वाली बीमारी है, जो एक से दूसरे व्यक्ति को पकड़ती है। यदि गर्मी अत्यधिक पड़ रही है तो आंत में अंदर की तरफ फोड़ा भी हो जाता है। इसके बाद शरीर में दाने के रूप में उभर आता है। ये बीमारी अनियंत्रित होने पर इसका असर दिमाग और लिवर तक में देखने को मिलता है। शरीर में छाले की तरह दाने पड़ जाते है। मरीज को बुखार, सिर दर्द, उल्टी और कमजोरी लगती है।शरीर में निकलने वाले लाल दाने में पानी भर जाता है। बुखार व सर्दी-जुकाम के साथ शरीर में सुस्ती और दर्द बना रहता है। इससे बचाव के लिए शरीर को साफ और स्वच्छ रखे। संक्रमित जगहों पर जाने से बचे।बाल्टी में नीम की पत्ती डालकर नहाएं संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखे।