कानपुर। साइबर ठगों ने नगर के एक कारोबारी से 1.80 करोड़ की ठगी कर ली हालांकि समय रहते पुलिस ने ठगी वाले खाताधारक को नागपुर से गिरफ्तार कर लिया है। जांच में सामने आया कि आर्मेनिया देश में बैठे साइबर ठगों ने नागपुर के व्यक्ति से 4 लाख रुपए देकर उसका खाता लीज पर लिया था।इतना ही नहीं, शातिर गिरोह का मास्टरमाइंड आर्मेनिया देश से बैठकर गैंग चला रहा है। गिरोह का नेटवर्क अहमदाबाद, पुणे और तेलंगाना में भी है। पुलिस गैंग के सरगना तक पहुंचने के लिए प्रयास कर रही है। 20 जून 2024 को नवशील अपार्टमेंट कैंट के विनोद कुमार ने साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। आरोप था कि शेयर इन्वेस्टमेंट में मोटा मुनाफा देने का झांसा देकर उन्हें अपोलो वीआईपी ग्रुप स्टडी नाम के वॉट्सऐप ग्रुप से उन्हें जोड़ा। इसके बाद अपोलो लेम्मा नाम का एप डाउनलोड कराकर उसमें शेयर में निवेश शुरू करा दिया गया। 18 अप्रैल 2024 से 24 मई 2024 तक उनसे 1.80 करोड़ जमा करा लिए। एप में उन्हें 1.80 करोड़ के निवेश पर करीब 5 करोड़ रुपए बढ़कर रकम होना दिख रहा था। लेकिन, उन्होंने रकम निकालने का प्रयास किया तब पता चला कि उनके साथ ठगी हो गई है। इसके बाद उन्होंने मामले में साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। साइबर सेल और क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू की तो पैसा कॉसमोस कॉपरेटिव बैंक नागपुर स्थित चंद्रशेखर नत्थूजी भुजाड़े के करंट अकाउंट में जमा होने की बात सामने आई। चंद्रशेखर ने बताया कि 4 लाख रुपए के कमीशन पर खाता दिया था। आरोपी से पुलिस ने पूछताछ की तो उसने कहा कि उससे खाता नागपुर के एक अनाज कारोबारी राकेश गुप्ता ने लिया था। चार लाख देकर खाते का इस्तेमाल किया जा रहा था। वहीं, कॉसमोस कॉपरेटिव बैंक के खाते का पता चलने के बाद पुलिस ने बैंक से पत्राचार किया। आरोपी ने अपने नाम पते से ही खाता खोल रखा था। पुलिस भले ही अकाउंट धारक को अरेस्ट करके अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन इस तह से ठगी करने वाले साइबर ठगों का सुराग तक नहीं लगा सकी है। व्यापारी को 4 लाख का लालच देकर उसे गुमराह करके खाता इस्तेमाल किया जा रहा था। जांच में पता चला है कि साइबर ठगी से नागपुर के चंद्रशेखर का कोई लेनादेना नहीं है सिर्फ उसके खाते का इस्तेमाल किया गया है।