July 27, 2024

कानपुर। इसे उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की उदासीनता कहें या फिर उसके भीतर चल रहे अर्न्तद्धन्द की कहानी कई सालों से अन्तर्राष्ट्रीय मैचों का दंश झेल रहा ग्रीनपार्क एक बार फिर से उपेक्षा का शिकार हो गया है। इस बार घरेलू क्रिकेट श्रृंखला के मैचों के लिए भी उसे संघ की ओर से उपयुक्त नही माना गया है। इसके उलट हाल ही सम्प‍न्न आईपीएल सत्र के 17 वें संस्क रण की सफलता का ईनाम लखनऊ के इकाना स्टेडियम को अवश्य ही मिल गया है। क्रिकेट के जानकार इसके लिए संघ के भीतर चल रहे आपसी विवादों को भी देख रहे हैं। नगर के कुछ चुनिन्दा क्रिकेटरों ने नगर और प्रदेश के सबसे पहले घोषित अन्तर्राष्ट्रीुय ग्रीनपार्क स्टेडियम में रणजी मैचों के आवन्टन न किए जाने के लिए प्रदेश क्रिकेट संघ को पूरी तरह से दोषी माना है।बतातें चले कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने वर्ष 2024-25 के नए सत्र के लिए अपने घरेलू मैचों के कार्यक्रम का विस्तृत कार्यक्रम घोषित कर दिया है। इसके मुताबिक इस बार नए सीजन की शुरुआत पांच सितंबर से दलीप ट्रॉफी के साथ होगी। इसके लीग मैच अनंतपुर में खेले जाएंगे। इस सीजन के घरेलू सत्र के जारी कैलेंडर में काफी टूर्नामेंट के आयोजन स्थल भी घोषित किए गए हैं। इसमें कानपुर के ग्रीनपार्क का नाम शामिल नहीं है। हालांकि, लखनऊ के इकाना स्टे डियम को विजय मर्चेंट ट्रॉफी और सीनियर महिला टी-20 के लीग मैचों की मेजबानी मिली है। देश की सबसे बड़ी घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिता रणजी ट्रॉफी की शुरुआत 11 अक्तूबर से होगी। रणजी ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश की टीम इस बार एलीट ग्रुप-सी में है। यूपी टीम पिछले सीजन में ग्रुप-बी में थी और छठवें स्थान पर रहकर नॉक आउट स्टेज से पहले ही बाहर हो गई थी।बीते सत्र के तीन घरेलू रणजी ट्राफी के मैचों का सफल आयोजन को पूरी तरह से नजरअन्दाज कर दिया गया। नगर के एक पूर्व जूनियर अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेटर ने इस बारे में कहा है कि अगर यहां पर मैच होतें है तो देश की विभिन्न  टीमों के खिलाडी आते हैं वही खिलाडी कभी भारतीय टीम का भी हिस्सा रहे होते हैं, तो उदीयमान क्रिकेटरों को अपने आदर्श खिलाडियों को खेलते देखने का अनुभव प्राप्त  होता है। ग्रीनपार्क में घरेलू मैचों के आयोजित न किए जाने से नगर के प्रतिभावान खिलाडियों को बडा क्रिकेट देखने को नही मिल पाएगा ये बहुत ही दुखद विषय है। नगर के एक और क्रिकेटर ने बताया कि ग्रीनपार्क को उपेक्षा का शिकार बनाने में यूपीसीए के निकिृष्ट कर्मचारियों का बहुत बडा योगदान है जिसे नही होना चाहिए।

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