संवाददाता। कानपुर। अगर आपके पशु ने नगर की सड़कों पर गोबर किया तो अब 1000 रुपए का जुर्माना भरना होगा। 63 साल पहले नगर निगम ने अधिनियम बनाया था। इसके बाद अब पहली बार चट्टे से गंदगी पर जुर्माने का टारगेट तय कर दिया गया है। अब सफाई निरीक्षकों को हर माह 25-25 चालान काटना अनिवार्य कर दिया गया है। हर माह सभी को मिलाकर कम से कम 1500 चालान काटने होंगे। इससे नगर में सफाई को लेकर जहां जागरूकता बढ़ेगी, वहीं नगर निगम का खजाना भी भरेगा। नगर निगम भी अब ट्रैफिक पुलिस की तरह काम करेगा। चट्टों को लेकर विवाद बढ़ने की स्थिति में नए विकल्प की तलाश की गई है। सफाई निरीक्षक जीपीएस युक्त चट्टों और उससे हुई गंदगी की फोटो मोबाइल से खींचेंगे और इसी आधार पर नगर निगम मुख्यालय आकर चालान काट देंगे। गंदगी करने वाले गोपालक को कोर्ट जाना पड़ेगा। नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन ने सर्कुलर जारी करते हुए जिम्मेदारी तय कर दी है। पहली बार नगर निगम की तीन धाराओं का इस्तेमाल चट्टों के लिए एक साथ किया जाएगा। नगर आयुक्त ने आदेश में कहा है कि डेयरी और चट्टा संचालकों पर चालान की कार्रवाई न के बराबर हो रही थी। इसलिए यह निर्णय लेना पड़ा। अब जो टारगेट पूरा नहीं करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। नगर निगम अधिनियम वर्ष 1959 में बना था। तब से पहली बार इस एक्ट के तहत कार्रवाई का टारगेट तय हुआ है। अगर पशु को मालिकों ने सड़क पर छोड़ा तो 5000 हजार रुपए जुर्माना देना होगा। यह पहले से तय है। मगर अब गाय और भैंस ने सड़क या फुटपाथ पर गोबर किया तो भी मालिकों को 1000 रुपए देने होंगे। नाली में अगर गोबर, कूड़ा या कागज भी फेंक दिया तो भी 100 रुपए से 1000 रुपए तक का जुर्माना लगेगा। बिना अनुमति के चट्टे का संचालन करते पाए गए तो 500 से 5000 रुपए का चालान कटेगा। सारे वार्डों के खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारियों और सफाई निरीक्षकों से प्राप्त चालानों के एकत्रीकरण के साथ ही इन्हें न्यायालय में प्रेषित करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के लिपिक किशोर आहूजा को सौंपी गई है। हर सप्ताह इसकी रिपोर्ट मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके निरंजन द्वारा नगर आयुक्त को सौंपी जाएगी।