July 27, 2024

चौदह को कोर्ट का फैसला परिवार आज भी दहशत में  दरवाजे पर एक आहट पर पूरा घर चौंक जाता।

संवाददाता।
कानपुर।
नगर के विष्णुपुरी स्थित लेबर कॉलोनी के एक सकरी सी गली में पहली मंजिल पर दो कमरों के घर में रहने वाले रिटायर प्रधानाचार्य स्व. रमेश बाबू शुक्ला की 24 अक्टूबर 2016 को आतंकी आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद फैसल और सैफुल्लाह ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। सैफुल्लाह लखनऊ में मुठभेड़ में मारा गया था, लेकिन जेल में बंद आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को एनआईए/एटीएस कोर्ट ने 4 सितंबर को हत्याकांड में दोषी करार दिया था। अब इनको 14 सितंबर को सजा सुनाई जाएगी। उनके परिवार का माहौल देखने के लिए हमने वहां पैड विचरण किया तो कुछ इस प्रकार की गतिविधियां सामने आई। घर पर उनकी पत्नी मीना शुक्ला अकेले मौजूद थीं, उनसे हमने पूछा कि आतंकियों को सजा मिलने वाली है इस पर आपका क्या कहना है? मीना देवी के मानों जख्म एकदम ताजे हो गए। आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी। बस रोए जा रहीं थी, इतना रो रही थीं कि बोलना मुश्किल था। रूंधे गले से उन्होंने कहा कि आतंकियों को फांसी की सजा होनी चाहिए। आतंकियों ने मेरा घर तो बर्बाद कर दिया। अब दूसरे का घर बर्बाद नहीं होना चाहिए। इनको ऐसे नहीं छोड़ा जाए। बस फांसी की सजा मिलनी चाहिए। सात साल हो गए आतंकियों को दोषी करार दिलाने में, संघर्ष मुझे ही नहीं पूरे परिवार को करना पड़ा। बच्चे पढ़ाई कर रहे थे। हौसला और संघर्ष के साथ केस को इस मुकाम तक अधिवक्ता कौशल किशोर ने पहुंचाया है। अब कोर्ट आतंकियों को क्या सजा देगी इस पर 14 सितंबर को फैसला होगा। मंजू देवी और उनका परिवार आतंकियों से आज भी इतना दहशत में है कि इंटरव्यू देने से पीछे हट गया। रोते हुए मंजू देवी ने कहा कि उन्हें कुछ नहीं बोलना है। कोर्ट से उम्मीद है कि आतंकियों को फांसी की सजा सुनाए तो कलेजे को ठंडक मिलेगी। उनका कहना था कि उनके पति ने तो आतंकियों को कुछ भी नहीं बिगाड़ा था वो तो सिर्फ उनके हाथ में कलावा और माथे पर टीका देखकर आतंकियों ने हत्या कर दी थी। अगर हम लोग उनके खिलाफ कुछ बोलेंगे तो पता नहीं मेरे बच्चों का क्या होगा। अब कोर्ट ही करेगा जो भी आतंकियों का करना होगा। विष्णुपुरी नवाबगंज की लेबर कॉलोनी में रहने वाली शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला की पत्नी मंजू का परिवार आज भी दहशत में है। दरवाजे पर एक आहट पर पूरा घर चौंक जाता है। मौजूदा समय में मंजू देवी के साथ में रहने वाला बेटा और मुकदमे का वादी अक्षय शुक्ला घर पर मौजूद नहीं था। जबकि दूसरा बेटा गुड़गांव में जॉब करता है। बड़ी बेटी पूजा की शादी हो चुकी है। छोटी बेटी आरती को डर की वजह से मंजू देवी ने अपनी बहन के घर शिफ्ट कर दिया है। वहां रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। विष्णुपुरी की लेबर कॉलोनी में रहने वाले दिवंगत रमेश बाबू शुक्ला जाजमऊ के प्योंदी गांव स्थित स्वामी आत्मप्रकाश ब्रह्मारी जूनियर हाई स्कूल में प्रिंसिपल थे। रिटायरमेंट के बाद भी वह स्कूल में पढ़ाते थे। 24 अक्तूबर 2016 की शाम जाजमऊ में उनके सीने में गोली मार दी गई थी, जब वह साइकिल से जा रहे थे। उनके छोटे बेटे अक्षय बताते हैं-घटना के वक्त मैं कॉलेज में था। खबर मिली कि पापा का एक्सीडेंट हो गया है। मैं जाजमऊ चौकी गया, वहां से कांशीराम हॉस्पिटल जाने को कहा गया। जब मैं वहां पहुंचा, तब तक पापा की मृत्यु हो चुकी थी। उस वक्त पता चला किसी ने गोली मारकर हत्या कर दी है। हमने चकेरी थाने में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। सात मार्च 2017 को लखनऊ में मुठभेड़ में आतंकी सैफुल्लाह के मारे जाने के बाद उसके साथियों से पूछताछ में हत्या का खुलासा हुआ था। पूर्व प्रिंसिपल रमेश शुक्ला की हत्या के बाद पुलिस ने हाथ-पांव मारे, लेकिन हत्याकांड का खुलासा नहीं कर सकी। हत्याकांड के करीब आठ महीने बाद उज्जैन ट्रेन बम विस्फोट की जांच कर रही एनआईए का एनकाउंटर लखनऊ में सैफुल्ला से हुआ। उसके कुछ साथी मध्यप्रदेश और यहां-वहां से पकड़े गए। इनमें आतिफ मुजफ्फर और फैसल भी थे। एनआईए ने उनसे कई दिनों तक पूछताछ की। इसमें दोनों ने जाजमऊ में एक बुजुर्ग की हत्या का खुलासा किया। एनआईए के सत्यापन में पता चला कि यह आतंकी वारदात थी। कत्ल के बाद उसका वीडियो सीरिया भेजा गया था। खुरासान मॉड्यूल के आतिफ, फैसल और सैफुल्लाह गिरोह ने केवल नई पिस्टल टेस्ट करने के लिए रमेश शुक्ला को मार डाला था। कत्ल का वीडियो सीरिया भेजने की बात भी सामने आई थी। इस मामले की जांच भी बाद में गृह मंत्रालय ने एनआईए को सौंप दी थी। आंतकी आतिफ, फैसल की तस्दीक के बाद एनआईए को वैज्ञानिक सबूत जुटाने थे। इसके लिए रमेश शुक्ला के सीने में धंसी गोली, मौके पर मिले खोखे और सैफुल्ला के ठिकाने से मिली आठ पिस्टलों की मैचिंग कराई गई। एक पिस्टल और खोखा-कारतूस में मिलान हो गया। साबित हो गया कि जाजमऊ पुलिस द्वारा पकड़ कर पीटे गए लोग निर्दोष थे। कातिल तो यह आतंकी थे। आईएसआईएस की गतिविधियों में लिप्त आतंकियों ने बताया कि वे गंगा किनारे फायरिंग का अभ्यास करते थे। आतंकियों ने लखनऊ में एक आईईडी बम का ट्रायल करने की कोशिश भी की थी। ऐशबाग रामलीला मैदान के पास उन्होंने एक बम कूड़ेदान के पास प्लांट किया था। यह वारदात कर वे आईएसआईएस के आकाओं का भरोसा जीतना चाहते थे। इससे उन्हें सीरिया में हिजरत का मौका मिल सकता था। उनका प्लांट किया हुआ बम नहीं फटा। आतंकियों पर कुल चार मुकदमें दर्ज हुए। पहला मुकदमा ट्रेन ब्लास्ट, दूसरा सैफुल्ला एनकाउंटर में हमला, आतंकी साजिश का तीसरा और चौथा केस रमेश शुक्ला हत्याकांड का दर्ज हुआ। इसकी जांच भी एनआईए को दी गई थी। 

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