July 27, 2024

कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट प्रीमियर लीग की घोषणा वैसे तो प्रदेश संघ ने कई बार की लेकिन इस बार उसे आयोजित करवाना शायद उसकी मजबूरी हो गयी है। कई तरह की बाधाओं को पार करने के बाद अब उसका आयोजन भी आगामी 30 अगस्त से सुनिश्चित भी हो चुका है। यूपीसीपीएल को आनन-फानन में आयोजित करवाने के लिए संघ की ओर से सारे सफल जतन भी पूरे किए जा चुके हैं। बस एक बात अलग हो गयी कि आईपीएल की ही भांति आक्शन व टीम प्रबंधन में उसने अपना नियन्त्रण खो दिया। जहां आईपीएल में फ्रेन्चाइजियों को टीम चुनने और उसका प्रबन्धन अपने पास रखने का पूरा अधिकार प्राप्त होता है तो वहीं यूपीसीपीएल में एकदम उलट हो गया है। प्रीमियर लीग में फ्रेन्चाइजियों का केवल नाम ही रह गया है बाकी सारे कार्य संघ के ही एक पावरफुल ‘भाई’नाम से सम्बो धित किए जाने वाले के नाम दर्ज हो चुके हैं। फिर वो चाहे 6 फ्रेन्चाइजियों के लिए टीमों की चयन प्रक्रिया हो या फिर उनके प्रबन्धन को तय करने की पूरी जिम्मेवारी।फ्रेन्चाइजियों को न तो अपनी मर्जी से टीम चुनने की छूट दी गयी है और नही प्रबन्धतन्त्र का नियन्त्रण रखने की सबकुछ केवल भाई के नियन्‍त्रण में ही माना जा रहा है। आईपीएल में बीते सत्र में कोलकाता नाईट राइडर्स की कप्तानी कर चुके नितीश राणा का प्रदेश प्रीमियर लीग में नोएडा की ओर खेलना भी इसे भाई का वरदान ही समझा जा रहा है। प्रदेश संघ के सूत्रों के मुताबिक जिन खिलाडियों ने प्रदेश की टीम की ओर से किसी भी आयु वर्ग में प्रतिनिधित्व भी नही किया उन्हे भी इतना बडा प्लेटफार्म दिया जाना उन खिलाडियों की तौहीन है जिन्होंने प्रदेश की ओर से क्रिकेट खेला है और उनका चयन नही किया गया है। यही नही सूत्र यह भी बताते है कि रणजी ट्राफी की चयन प्रक्रिया में केवल हिस्सा लेने वाले खिलाडियों का चयन किया जाना भी गले नही उतरता दिखायी दे रहा है। भाई की हनक संघ के भीतर इतनी है कि वह फ्रेन्चाइजियों के प्रशिक्षकों की नियुक्ति भी बदलवा सकने में महारथ प्राप्त रखे हैं। उन्होंने अपने चहेते क्रिकेटर को गोरखपुर फ्रेन्चाइजी का प्रशिक्षक भी बनवा दिया जबकि लांन्चिंग पार्टी में जिस नाम का जिक्र किया गया था वह अन्तर्राष्ट्रीय फलक का सितारा था जबकि बदला हुआ सितारा केवल रणजी ट्राफी तक ही सीमित है। यही नही उन्नाव जनपद के एक खिलाडी का चयन तो मात्र शून्य पर आउट होने के बावजूद करवा दिया गया क्योंकि उनका कमिटमेन्ट प्रदेश की टीम से खिलाने को लेकर किया गया था। यूपीसीए के सूत्र बताते है कि उन खिलाडियों को प्रीमियर लीग की फ्रेन्चाइजियों में शामिल करवाया गया है जिनको प्रदेश की रणजी ट्राफी टीम में खेलने के लिए शायद बयाना दिया हो, क्योंकि आजकल पैसों और रसूख के दम पर क्रिकेट खेलने का चलन भी बढ चला है। भाई की मदद सीईओ स्तर के अधिकारी भी आंख बन्द करके पूरी तरह से कर रहें हैं क्योंकि उनका भी संघ भी प्रवेश उन्ही की बदौलत माना जाता है। इस बारे में संघ का कोई भी पदाधिकारी बोलने को तैयार नही है। संघ के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रीमियर लीग के आयोजन में रहस्यमयी भाई का पूरी तरह से नियन्त्रण है जबकि यूपीसीपीएल के चेयरमैन का चेहरा मात्र दिखावा ही दिखायी दे रहा है।

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