इमाम बारगाह में मजलिस के बाद निकले जुलूस में भारी संख्या में शामिल हुए शहर और आसपास जिलों के जायरीन
संवाददाता। कानपुर। हजरत इमाम हुसैन आलेहिसलाम द्वारा जालिम ताकतों को हराकर, इंसानियत को बचाने के लिए दी गई शहादत की याद में चेहलुम के दिन, हर साल की तरह इस बार भी छोटे मियां हाता के ‘वक्फ हादी बेगम, हाजरा बेगम, सरदार बेगम’ स्थित इमाम बारगाह से विशाल जुलूस निकला गया। अलम और शहीदों के ताबूतों के शबी के साथ निकला जुलूस कर्नलगंज के तिकुनिया पार्क लकड़मंडी से होते हुए, साइकिल मार्केट, लाल इमली चौराहा, विक्टोरिया मिल होते हुए ग्वालटोली स्थित मकबरा तक पहुंचा। पटकापुर की अंजुमन मोइन उल मोमनीन द्वारा नौहाखवानी और सीनाजनी की गई।
जुलूस के पूर्व इमाम बारगाह में ही एक विशाल मजलिस का आयोजन किया गया, जिसमे लखनऊ से आए मौलाना सैय्यद बाकर सज्जाद जैदी साहब ने तकरीर की। तकरीर में सैय्यद बाकर ने कहा इमाम हुसैन ने किसी एक फिरके के लिए नहीं, पूरी इंसानियत के लिए शहादत दी थी। इमाम हुसैन के जीवन से सबको सीख लेकर व्यवहार करना चाहिए। वहीं वक्फ हादी बेगम के मुतवल्ली और जुलूस के सदर के तौर पर सैय्यद ऐनुल हसन नकवी ने कहा छोटे मियां हाता की इमाम बारगाह का दर सबके लिए खुला है। इमाम हुसैन की कुर्बानी समस्त इंसानियत के लिए थी। इमाम हुसैन पूरी इंसानियत के लिए नजीर हैं। उनके बताए चलने से सारी परेशानियां और विवाद खत्म हो सकते हैं। यजीद और उसकी सेना के हाथों शहीद हुए इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों दफन तक के लिए पहले ही 4 किलोमीटर की जमीन खरीद ली थी, जिससे कि शहीदों का खून तक किसी दूसरे की जमीन पर ना गिरे। मुतवल्ली सैय्यद ऐनुल हसन ने बताया कि चेहलुम के दिन छोटे मियां हाता की इमाम बारगाह से ये जुलूस विगत सौ वर्षों से भी अधिक समय से निकाला जा रहा है। सैय्यद ऐनुल के अनुसार महानगर के पटकापुर, चमनगंज, बेकनगंज, कल्याणपुर, जाजमऊ आदि क्षेत्रों समेत आसपास के जिलों से सैकड़ों जायरीन शिरकत करते हैं। मुतवल्ली ऐनुल हसन के साथ ही अध्यक्ष श्री जाहिद हुसैन नकवी, नकी अली, एडवोकेट अब्बास रिजवी, मौलाना नुसरत हुसैन, हिदायत नकवी, आबिद हुसैन नकवी, कंबर नकवी आदि गणमान्य मजलिस और जुलूस में उपस्थित रहे।