कानपुर। कानपुर नगर निगम में नगर आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल ने विकास कार्यों में शिथिलता बरतने पर अधिकारियों, ठेकेदारों और पार्षदों को कडी चेतावनी दी है। विकास कार्यो को अपने अंजाम की स्थिति में न देख पाने से नाराज प्रभारी नगर आयुक्त ने सख्ती कर दी है। उन्होंने सभी को निर्देश देते हुए कहा है कि हाथों में फाइलों को लेकर घूमने से किसी भी काम को अंजाम तक नही पहुंचाया जाएगा, अब डाक या विभागीय अधिकारियों के जरिए ही पहुंचने वाली फाइलों पर नगर आयुक्त की कलम चलेगी।गौरतलब है कि अभी तक पत्रों को विभागीय अधिकारी और विभागाध्यक्ष बिना मुहर लगाकर ही भेज रहे थे। इसके साथ ही कई पत्र बिना डाक में चढ़ाए ही नगर आयुक्त तक भेजे गये। कई ठेकेदार और पार्षद भी फाइल लेकर सीधे पहुंच गए। इस पर नगर आयुक्त ने कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुये विभागीय कार्यों में बड़ा बदलाव किया है। नगर आयुक्त ने पांच पाइंट को ध्यान में रखकर ही पत्रावलियों को चलाने के आदेश जारी किए हैं।नगर आयुक्त ने नगर निगम, जलकल समेत सभी विभागों को आदेश देते हुये कहा कि कोई भी पत्रावली विभागीय डाक के माध्यम से रजिस्टर में चढ़ाने के बाद ही नंबर और दिनांक लिखने के बाद ही प्रेषित की जाए। पत्रावलियों में अधिकारियों के हस्ताक्षर के साथ ही सुस्पष्ट नाम एवं पद नाम की मुहर होनी जरूरी है। सरकारी फाइलों के मूवमेंट के लिए एक पूरा सिस्टम बना हुआ है। किसी भी कार्य का प्रस्ताव पास होने के बाद उसकी फाइल तैयार होती है। इसके बाद जिस पटल की फाइल होती है, रजिस्टर में चढ़ाकर फाइल आगे अधिकारी को भेजी जाती है। ऐसे ही फाइल चलती है। इसके बाद फाइनली नगर आयुक्त के पास पहुंचती है और शाइन होने के बाद पेमेंट के लिए जाती है। फाइलें लेकर सरकारी कर्मचारी ही एक विभाग से दूसरे विभाग लेकर जाते हैं। लेकिन सेटिंग के चलते ठेकेदार खुद ही फाइलें लेकर घूमते थे और अधिकारियों से पास करा लेते थे। नगर निगम के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में ठेकेदारों और पार्षदों का इस कदर बोलबाला है कि वे फाइलें खुद ही जोन से लेकर आते हैं और साइन से लेकर मुहर तक खुद ही लगवाते हैं। कई बार पार्षद खुद ही नगर आयुक्त के पास सीधे फाइल लेकर चले जाते थे। यदि पत्रावली बिना डाक या सीधे प्रस्तुत की जाएगी, तो उस पत्रावली में जिस अधिकारी का नाम दर्ज होगा या जिसने भेजा होगा, उस पर कड़ी कार्रवाई होगी। नगर आयुक्त ने साफ कहा कि अभियंत्रण विभाग की पत्रावलियों में कार्य का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिये। पूर्व में कार्य कब कराया गया था और वर्तमान में कार्य का औचित्य क्यों है इसको बताना जरूरी होगा। इसके बिना फाइल आगे नहीं बढ़ाएं। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया कि ऐसे विकास कार्य के लिये आधिकारिक रूप से अलॉटेड बजट भी फाइलों में दर्ज करें। नगर निगम में कई पटल पर अधिकारी व कर्मचारी टिके हुये हैं। सूत्रों के अनुसार इन कर्मचारियों की सूची नगर आयुक्त तक पहुंच चुकी है। जल्द इनको इधर से उधर किया जा सकता है। नगर आयुक्त कार्यालय, जोनल कार्यालय में तैनात कई क्लर्क वर्षों से एक ही कुर्सी पर बैठे हुए हैं। इनको दूसरी जगह भेजा जा सकता है।