कानपुर। उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम के अनियमितताओं और घोटालों के संदर्भ में आज़ाद समाचार ने खबरों में अवगत कराने का प्रयास किया है लेकिन वह क्षणभंगुर मात्र है वहां घटित हो रहे वर्षों के घटनाक्रम का जिनके विषय मे एक बार मे लिखना संभव ही नही है। यदि क्रमवार लिखा जाए तो एक ग्रंथ की रचना हो जाये उसी क्रम में आगे बढ़ते हुए। पांच वर्ष पूर्व वो सत्तावन सविंदा कर्मी निगम की सेवा से निकाल बाहर किये गए बिना कारण बताओ नोटिस के जिसमे उनका उस माह का वेतन भी नही दिया गया था जो लगभग चौदह पंद्रह वर्षो से अपनी सेवाएं निगम को निष्ठापूर्ण समर्पित कर रहे थे गलतियां उनकी ये रही की निगम में हो रहे घोटालों पर मौखिक और लिखित आपत्ति दर्ज कराना,तो घोटालों के सरताज बने वो अधिकारीगण जिनके घोटाला प्रबंधतंत्र के मंसूबे ध्वस्त हो सकते थे तो उन्होंने निर्णय ये लिया की इन लोगो को निकाल बाहर करके आउटसोर्सिंग में नई भर्ती करो जो हमारे कूटरचित कृत्यों पर उंगली न उठा सके। और भृष्ट अधिकारियों ने सविंदा कर्मियों की सेवा समाप्त करके अपने घृणित मंसूबों को पूरा किया उसके बाद कर्मियों ने उच्च न्यायालय की शरण ली जिसमे न्यायालय द्वारा ये आदेशित किया गया की इन कर्मियों के समायोजित निर्णय के बाद ही निगम में भर्ती होगी लेकिन यहां भी उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुऐ। उस वक्त के कार्मिक प्रभारी सुनील यादव जो निगम को कार्मिक के अतिरिक्त इंजिनीरिंग, दो जिलों के एरिया मैनेजर के पदों को सुशोभित कर रहे थे। ने लगभग एक सौ दस कर्मियों की आउटसोर्सिंग में भर्ती करी जिनमे से लगभग चालीस कर्मी उनके सगे संबंधी है जिनमे से अधिकतर तो बिना कार्य किये ही वेतन उठा रहे है, जिनमे से कुछ के नाम सुरेंद्र सिंह यादव, सुरेंद्र सिंह का पुत्र सुपरवाइजर पद पर , अनिल यादव, कुलदीप यादव, रवीश कुमार यादव, रोहित यादव आदि, कुछ निगम के उनके करीबी कार्यरत ठेकेदारों के पुत्र रितेश सिंह पुत्र सी वी सिंह, फ़ैज़ पुत्र मंसूरी कंस्ट्रक्शन, दुष्यंत प्रताप पुत्र ठेकेदार, यहां तक की अपने वाहन चालक राजेश कुमार को भी चपरासी के पद पर समायोजित कर दिया लेकिन वो गाड़ी चालक का ही कार्य कर रहे है इन भर्ती कर्मियों में कुछ तो सेवानिवृत्त कर्मी है ए के अवस्थी मैनेजर एकाउंट प्रभारी एरिया मैनेजर लखनऊ यहां तक ए के अवस्थी से सरकारी चेकों में भी हस्ताक्षर कराकर भुगतान किया जाता है बद्री प्रसाद त्रिपाठी मुख्यालय में अधिषासी अभियंता पद पर, पंकज चतुर्वेदी उप प्रबंधक, के एन अवस्थी कराधान प्रभारी, एस के राय अधिषासी अभियंता लखनऊ मंडल इनके सबके ऊपर सीबीआई जांच भी प्रचलित है जबकि शासन से सख्त आदेश है की सेवानिवृत्त कर्मियों की सेवा न ली जाये और जो अवर अभियंताओं की भर्ती की गई उनके डिप्लोमा किसी न किसी प्राइवेट आईटीआई से ही है नान टेक्निकल न कि सरकारी संस्थान से अपने स्वहित और लाभ के लिए तैयार किये गये तंत्र से न तो राष्ट्र की उन्नति होगी और न ही समाज की यहां तक सुनील आउटसोर्सिंग कर्मी चंद्रप्रकाश त्रिवेदी को चुनाव डयूटी में भी भेज दिया था जो नियम के विपरीत है संविदा कर्मियों का ये भी कहना है सुनील यादव की पदौन्नति भी गलत है जो उसने समय से पूर्व करा ली थी झूठ बोलकर, यहां तक सेवानिवृत्त भर्ती कर्मियों को सरकारी चार पहिया वाहन भी उपलब्ध कराये गये है जिनका प्रत्येक माह का लगभग खर्च एक लाख रुपये है प्रति वाहन है, पुनः यह कहना अतिश्योक्ति न होगा की उत्तर प्रदेश लघु उद्योग के घोटालों और अनिमियत्ताओं का वर्णन एक बार मे संभव नही।