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प्रतिमा पाताल से निकली है,
संवाददाता।
कानपुर। नगर के पतारा कस्बा स्थित बाबा बैजनाथ धाम मंदिर में चैत्र मास के रामनवमी के दिन बाबा बैजनाथ की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार हीरे जवाहरात से होता है। यहां दर्शन करने के लिए आसपास गांवों समेत सारे जनपद से भक्त आते है। मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है। बैजनाथ बाबा की प्रतिमा पाताल से निकली है, प्राचीन मंदिर की बड़ी मान्यता है। घाटमपुर तहसील क्षेत्र के पतारा कस्बा स्थित बाबा बैजनाथ धाम मंदिर के गर्भगृह में शंकर जी भव्य प्रतिमा स्थापित है। यहां प्रत्येक सोमवार को बाबा की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार होता है। यहां पर सावन के हर सोमवार को फूलों से बाबा की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार होता है। यहां पर चैत्र की रामनवमी के दिन बाबा की प्रतिमा का श्रृंगार हीरे जवाहरात से होता है। बाबा के दर्शन करने के लिए आसपास के हमीरपुर, उन्नाव, कन्नौज, कानपुर देहात समेत अन्य जनपदों से भक्त आते हैं। इस प्राचीन मंदिर की बड़ी मान्यता है। गांव निवासी दीपू शुक्ला, पुतान सिंह, लक्ष्मण सिंह, राकेश तिवारी आदि भक्तों ने बताया कि बाबा सच्चे मन से मांगी हुई भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते है। गांव निवासी गुड्डू शुक्ला, धर्मेंद्र मिश्रा, कुलदीप बाजपेई, छोटू पाठक ने बताया कि वह रोज बाबा के दर्शन करने जाते है। बाबा के दर्शन मात्र से कल्याण होता है। बाबा बैजनाथ सभी भक्तों को मनोकामना पूर्ण करने के साथ भक्तो के दुखों का निवारण भी करते है। बुजुर्ग बताते हैं कि कई वर्षों पहले यहां पतावरी (पलास) के जंगल हुआ करते थे। यहां चरवाहा अपनी गाय चराया करता था । तभी इस स्थान पर एक गाय अपना दूध गिरा दिया करती थी। इस पर चरवाहे ने ध्यान दिया कि उसकी गाय कौन दूह लेता है। जब उसने गाय को देखा तो इस स्थान पर गाय खड़ी होकर अपना दूध गिरा देती थी । जब इस स्थान पर खुदाई कराई गई तो यहां शंकर जी भव्य प्रतिमा निकली । खोदाई के दौरान फावड़े से प्रतिमा का थोड़ा भाग कट गया जिससे खून की धार निकलने लगी भक्तों ने घी लगाया तो खून निकलना बंद हुआ। चरवाहे के नाम पर मंदिर का नाम बैजनाथ धाम पड़ा है।