— आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने वाले लगभग 20 फर्जी नाम के लोग पकड़ में आए।
कानपुर। नगर के कैफे संचालकों का सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वालों को फर्जी तरीके से कार्ड बनाने के खेल को स्वास्थ्य विभाग के सक्रिय कर्मचारियों ने फेल कर दिया है। इस मामले से सबसे अधिक फर्जी कार्ड बनाने में आयुष्मान भारत योजना के लिए आवेदन करने वालों के लिए सामने आए हैं। नगर में कैफे संचालकों ने लोगों से मोटी रकम वसूल कर उनका फर्जी कार्ड बनाकर थमाने का काम तो कर दिया लेकिन पात्रता सही न पाए जाने पर उन्हेे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की ओर से जलालत झेलनी पड रही है। आयुष्मान कार्ड लेकर मरीज जब इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचता है तब उसे अपने साथ ठगी का पता चलता है। छह माह के अंदर ऐसे करीब 20 मामले स्वास्थ्य विभाग ने पकड़े है। बतातें चलें किे सरकार की ओर से घोषित योजना में आयुष्मान कार्ड अभी केवल परिवार के 6 सदस्यों या इससे ज्यादा वालों के लिए बनाने के निर्देश हैं ऐसे में कम सदस्य जिनके घर में होते है उनका कार्ड नहीं बन पाता है। ऐसे में कैफे संचालक उसी नाम से सर्च करते है, फिर जिसका नाम और पिता का नाम मिलता है उसी का कार्ड बनाकर दे देते हैं। बस कार्ड में फोटो आवेदन करने वाले की लगाते है, बाकि उसमें डिटेल किसी और की रहती है।ऐसे में मरीज जब अस्पताल पहुंचता है तो उसका अंगूठा लगाते समय मामला पकड़ में आता है। स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे पांच लोगों के खिलाफ चकेरी थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई है।बिना पात्रता के भी आयुष्मान कार्ड पाने की इच्छा रखने वालो से कैफे संचालक अधिक रकम वसूल कर उन्हें कार्ड बनवा देने का लालच देते है। इसके लिए लोग उन्हें 3 से 5 हजार रुपए तक भुगतान करते है।
आयुष्मान भारत के नोडल अधिकारी डॉ.एसपी यादव ने बताया कि किसी और के नाम का आयुष्मान लेकर जब मरीज इलाज कराने के लिए अस्पताल में जाता है तो वहां पर सबसे पहले मरीज का अंगूठा लगवाया जाता है। अंगूठा मैच न होने पर मामला पकड़ में आता है।एक जैसे नाम का फायदा उठाकर दूसरों का आयुष्मान कार्ड प्रयोग करने वाले अभी तक 20 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।