July 27, 2024

संवाददाता।
कानपुर। नगर के स्वरूप नगर जैसे पॉश इलाके में लगभग 200 करोड़ के जिस प्लॉट पर केडीए ने 21 मई 2022 को कब्जा किया था, वह केडीए से आखिरकार छिन गया। प्रयागराज हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केडीए द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपील याचिका खारिज हो गई है। अब केडीए को न सिर्फ 2994.5 वर्ग मीटर के इस प्लॉट पर कब्जा छोड़ना पड़ेगा बल्कि सील भी खोलनी पड़ेगी। केडीए को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति नरसिम्हा की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश को ही बरकरार रखा है। केडीए को किसी प्रकार की राहत न देते हुए एसएलपी खारिज कर दी है।  भले ही फैसला सनलाइफ इंफ्राकान प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में गया है। मगर, सील खुलने के बाद भी परिसर में कोई निर्माण नहीं हो सकता। केडीए का कहना है कि अभी भी मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है इसलिए निर्माण का अधिकार किसी को नहीं है। गुटैया स्कीम नंबर सात (स्वरूप नगर) के भूखंड संख्या बी-86 का क्षेत्रफल लगभग 2994.5 वर्ग मीटर है। नगर निगम में यह परिसर भवन संख्या 7/196 स्वरूप नगर के रूप में दर्ज है। केडीए की पूर्ववर्ती संस्था कानपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा इसकी डीड 5 जनवरी 1942 को की गई थी। नियम व शर्तों के मुताबिक यह जमीन महमूदा बेगम को आवंटित की गई थी मगर उन्होंने निर्धारित दो साल की समयावधि में किस्तें जमा नहीं कीं। बाद में महमूदा बेगम भारत-पाकिस्तान के विभाजन के वक्त 1947 में पाकिस्तान चली गईं। उनके रिश्तेदार ने दूसरों को जमीन बेच दी। केडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष के निर्देश पर महमूदा बेगम को प्लॉट आवंटन के दौरान निर्धारित नियम शर्तों का पालन न करने को ही आधार बनाया गया था। इसी आधार पर जमीन को केडीए ने वापस ले लिया था और 21 मई 2022 को इस पर कब्जा करते  हुए परिसर को सील कर दिया था। अपने स्टाफ की भी तैनाती कर दी थी। इसके खिलाफ जमीन के खरीदार हाईकोर्ट पहुंचे थे। हाईकोर्ट में केडीए ने पक्ष रखा कि आवंटन के दो साल के भीतर किस्त जमा नहीं की गई इसलिए जमीन वापस  ली और सील लगाई। तब हाईकोर्ट ने कहा था कि 80 साल बाद केडीए को यह याद क्यों आई? किस्तें जमा कराई जा सकती थीं। तत्काल सील खोली जाए। इसी आदेश के खिलाफ केडीए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। मामले में ओएसडी एवं प्रभारी अधिकारी विधि केडीए सत शुक्ला ने बताया कि उच्च न्यायालय ने बकाया जमा करा कर भूखंड को सील मुक्त करने का आदेश पारित किया था, जिसके विरुद्ध केडीए की एसएलपी उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दी। भूखंड सील मुक्त होगा मगर रिट याचिका अभी उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, लिहाजा कोई निर्माण या गतिविधि प्रतिबंधित रहेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *