January 22, 2025

कानपुर। सावन के तीसरे सोमवार को नगर के सभी छोटे बडे शिवालयों में हर-हर महादेव के उदघोषों की गूंज रही यही नही शहर के गंगा घाटों पर भी गंगा स्नान करने के लिए श्रृद्धालुओं का जत्था उमड पडा। कहीं देर रात तो कहीं भोर पहर से ही शिवमन्दिरों में भक्तों ने भगवान शिव की पूजा अर्चना की पौ फटने से पहले ही श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगा कर पुण्य कमाने का कार्य किया। भक्तों ने गंगा स्नान के बाद भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती का जलाभिषेक के बाद उनका श्रृंगार पूजन किया और अपने मंगल जीवन की कामना की। मंदिरों में सुबह 4 बजे मंगला आरती की गई, तो परमट मंदिर में रात डेढ बजे मंगला आरती हुई। इसके बाद भक्तों के दर्शन के लिए पट खोले गए। परमट मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर के पट रात को दो बजे ही भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए थे। वहीं खेरेश्वर मंदिर में भी कतार लगी रही। यहां मेले में दूर-दूर से लोग पहुंचे और उसका आनन्द उठाया। नगर के परमट मंदिर, जागेश्वर मंदिर, खेरेश्वर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर में देर रात से ही भक्तों की लाइन लगनी शुरू हो गई थी। मंदिर में आरती के पश्चात जैसे ही पट खुले तो पूरा परिसर हर-हर गंगे, बम-बम भोले, ओम नम: शिवाय के जयघोष से गूंज उठा। भगवान को प्रसन्न करने के लिए किसी ने गंगाजल से अभिषेक किया तो किसी ने कच्चे दूध से अभिषेक किया। परमट मंदिर में सुबह होते-होते हजारों की संख्या में भीड़ पहुंच गई। जल्दी दर्शन करने की होड़ में भक्तों के बीच धक्का मुक्की भी देखने को मिली। इसी तरह का नजारा सिद्धनाथ मंदिर, खेरेश्वर मंदिर में भी देखने को मिला। मंदिर के गर्भ गुफा के बाहर दर्शन करने वालों की भारी भीड़ लगी रही। गंगा घाटों पर पुलिस नाव से गोताखोर के साथ धूमती रही। सिद्धनाथ मंदिर को छोटा काशी के नाम से भी पुकारा जाता है। ऐसी ही भीड़ ब्रह्मावर्त घाट, खेरेश्वर मंदिर, जागेश्वर मंदिर, वनखंडेश्वर मंदिर आदि शिवालयों में देखने को मिली। भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए भक्तों ने उन्हें तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल अर्पित किए। सबसे पहले भगवान का जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद इत्र लगाया, फिर लाल-पिला चंदन लगाया। फल, मिठाई और ठंडाई का भोग लगाया गया। मान्यता है कि भगवान शंकर की पूजा करने में उन्हें ठंडाई का भोग अवश्य लगाना चाहिए। गंगा स्नान करने के लिए कानपुर ही नहीं बल्कि उन्नाव, लखनऊ, सीतापुर, इटावा, हमीरपुर, औरैया, झांसी, आगरा आदि जिलों से भक्त सुबह से ही आने लगे। गंगा किनारे आने वाले भक्तों को घाट से काफी दूर ही रोक दिया गया। किसी की गाड़ी घाट के पास तक नहीं जा सकी।