July 27, 2024

माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड डीआईओएस ऑफिस के बाबुओं तक साठगांठ थी।

संवाददाता।

कानपुर। नगर में इंटर कॉलेज में फर्जीवाड़ा करके 9 लेक्चरर की नियुक्ति कराने का खुलासा होने के बाद कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पकड़े गए गिरोह के सरगना रिटायर शिक्षक और उसके पिता से पूछताछ में सामने आया है कि 15-15 लाख रुपए में लोगों को लेक्चरर बनाने का ठेका लिया था। माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड की फर्जी ई-मेल बनाने के साथ ही कानपुर डीआईओएस ऑफिस के बाबुओं तक साठगांठ की थी। इससे कहीं भी फर्जी मेल में किसी ने कोई आपत्ति नहीं की और जारी फर्जी ई-मेल से 9 शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई। मामले में 7 लोग जेल भेज दिए गए है। अन्य पुलिस की रडार पर हैं। एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार ने बताया कि कानपुर में 9 लेक्चरर की फर्जी नियुक्ति कांड में 7 लोग जेल भेज दिए गए हैं। रविवार को जेल भेजे गए वाराणसी के जैतपुरा निवासी हरेंद्र पांडेय और उनका बेटा प्रकाश पांडेय फर्जी शिक्षक भर्ती कांड के सरगना हैं। हरेंद्र पांडेय ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने ही भर्ती के नाम पर लोगों से 15-15 लाख रुपए में ठेका लिया था। जांच के दौरान हरेंद्र और उनके बेटे प्रकाश के अकाउंट में टोकन मनी के रूप में लिए गए 50 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन भी मिला है। पूछताछ में हरेंद्र से कई अहम जानकारी सामने आई है। उसने बताया कि माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड से लेकर कानपुर डीआईआएस ऑफिस तक उसकी तगड़ी साठगांठ थी। उसने भर्ती प्रक्रिया में एक-एक सीट पर बाबुओं को लाखों रुपए की घूस दी थी। इसके चलते एक फर्जी ई-मेल पर भी बगैर किसी जांच-पड़ताल के कानपुर में 9 लेक्चरर की धड़ाधड़ नियुक्ति कर दी गई थी। अब कानपुर पुलिस जल्द ही कानपुर डीआईओएस ऑफिस में तैनात कर्मियों को भी अरेस्ट करेगी। जिन्होंने फर्जी शिक्षक भर्ती कांड में अपनी अहम भूमिका निभाई है। पुलिस को जांच के दौरान कई पुख्ता साक्ष्य मिले हैं। इससे यह साफ हो गया है कि डीआईओएस ऑफिस की  भी फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले की भी पूरी संलिप्तता थी। अब जल्द ही इन सभी कर्मचारियों की भी अरेस्टिंग होगी। इस मामले में 7 जून को 5 आरोपी जेल भेजे गए थे, 9 जून को सरगना पिता-पुत्र की अरेस्टिंग हुई थी। इन्हें 10 जून को जेल भेजा जाएगा। एसीपी कर्नलगंज ने बताया कि कानपुर में 9 शिक्षकों की नियुक्ति का खेल सामने आने के बाद आरोपियों को अरेस्ट कर लिया गया है। जांच के दौरान कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो इशारा कर रहे हैं कि कानपुर के साथ प्रदेश के कई जिलों में इस तरह से फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति का खेल किया गया है। पुलिस की टीम को आरोपियों की ई-मेल और कई दस्तावेजों की जांच में लगाया गया है। जांच पूरी होने के बाद साफ हो जाएगा कि कहां-कहां पर भर्ती के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। जल्द ही इस मामले में बड़ा खुलासा होगा। पुलिस टीमें मामले की जांच कर रही हैं। डीसीपी सेंट्रल आरएस गौतम ने बताया कि फर्जी शिक्षक भर्ती कांड के सरगना वाराणसी के जैतपुरा निवासी हरेंद्र पांडेय और उनका बेटा इंटर कॉलेज का लेक्चरर प्रकाश पांडेय ने  पहले चरण में 5 लोगों की अरेस्टिंग के बाद ही अपना घर छोड़ दिया था। पिता-पुत्र नेपाल भागने की फिराक में थे और वाराणसी से गोरखपुर पहुंच गए थे। अगर पुलिस दोनों को पकड़ने में एक दिन की भी देरी करती तो दोनों नेपाल भाग जाते, गनीमत रही कि नेपाल जाने से पहले ही पुलिस ने गोरखपुर के एक बड़े होटल से दोनों को अरेस्ट कर लिया। डीसीपी सेंट्रल ने बताया कि  कानपुर के गोविंद नगर स्थित आर्य कन्या इंटर कॉलेज में रिक्षा पांडेय की नियुक्ति की गई थी। तत्कालीन प्रिंसिपल और रिक्षा पांडेय एक ही विषय की थीं। मैनेजमेंट ने नियुक्ति करा दी, लेकिन प्रिंसिपल ने संदेह होने पर मामले का वेरिफिकेशन करने को भेज दिया। विभागीय सांठगांठ होने के चलते एक बार तो मामला दब गया, दूसरी बार फिर से पत्राचार किया गया। ज्वाइंट डायरेक्टर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने वेरिफिकेशन कराया तो पूरा का पूरा पैनल फर्जी पाया गया। इसमें फरवरी 2024 में एक कमेटी गठित की गईं। जांच के दौरान वर्तमान डीआईओएस अरुण कुमार की तहरीर पर फर्जीवाड़ा कर भर्ती किए गए लेक्चरर अरविंद सिंह यादव, स्वाति द्विवेदी, आशीष कुमार पांडेय समेत 9 लोगों के खिलाफ कर्नलगंज थाने में केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने जांच की तो फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाला परत दर परत खुलता चला गया। अब तक 7 लोगों को पुलिस अरेस्ट कर चुकी है। कई लोग पुलिस के रडार पर हैं।

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