कानपुर। घाटमपुर के समीप पतारा कस्बे में बाबा बैजनाथ धाम मंदिर प्राचीन काल से आस्था का केंद्र रहा है। जगनिक द्वारा रचित बुंदेलीखंड काव्य आल्हा में भी बाबा बैजनाथ धाम मंदिर का जिक्र किया गया है। हर सोमवार पर यहां पर स्थापित प्रतिमा का भव्य श्रृंगार होता है, रात में भक्त भजन-कीर्तन करते हैं। सावन के पहले सोमवार पर बाबा के दर्शन के लिए यहां भक्तों की भीड़ उमड़ी। सोमवार को बाबा बैजनाथ को जलाभिषेक करने के लिए दूर-दराज के इलाकों से भक्त और श्रद्धालु वहां पहुंचे और बाबा का श्रृंगार भी किया। सावन के महीने में बाहर जनपदों से श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते हैं और माना जाता है कि बाबा सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। सोमवार को शिवभक्तों ने बाबा पर जलाभिषेक कर उन्हें गाय का दूध, बेल पत्र, गंगा जल व धतूरा आदि चढ़ाकर उनको प्रसन्न करने का काम किया। पतारा कस्बा निवासी राजन तिवारी, अंशू तिवारी, धर्मेद्र मिश्रा ने बताया कि बाबा बैजनाथ धाम मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा के दर्शन करता है। बाबा उसकी सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। कानपुर-सागर राष्ट्रीय राज्यमार्ग पर स्थित पतारा कस्बे के पुलिस चौकी रोड पर स्थित बाबा बैजनाथ धाम मंदिर वर्षों पुराना है। बुजुर्ग बताते हैं कि पहले इस जगह पर पतावर (पलास) का जंगल होता था। इसी जंगल में बैजू नाम का चरवाहा अपनी गाय चराने आता था। जंगल के बीच एक स्थान पर गाय अपना दूध गिरा देती थी। जब इस जगह की खोदाई की गई तो जमीन के अंदर से एक शिवलिंग निकला। फावड़ा या गैंती लगने से शिवलिंग में चोट लग गई थी, जिसके बाद शिवलिंग से रक्त की धार निकल रही थी। भक्तों ने घी का लेप किया तो रक्त की धार बंद हुई। इसके बाद यहां पूजन-अर्चन शुरू हुआ। बाद में यहां पर मंदिर निर्माण कराया गया। चरवाहे के नाम पर मंदिर का नाम बैजनाथ धाम रखा गया।