संवाददाता
कानपुर। आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में कानपुर विकास प्राधिकरण के कर्मचारी नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी है जिस पर आपत्ति जताते हुए कर्मचारी नेता ने जिलाधिकारी से निष्पक्ष जांच की गुहार लगायी है। कर्मचारी नेता ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर विभाग के अधिकारियों पर यह आरोप लगाया है कि कूटरचित दस्तावेजों को पेशकर उनके खिलाफ विभाग के ही कुछ लोगों ने साजिश को अंजाम दिया है। वहीं केडीए.की ओर से आरोप यह लगाया गया है कि कर्मचारी नेता की नियुक्ति कानपुर विकास प्राधिकरण में वर्ष 2007 में की गयी थी। उन्होंने वर्ष 2007 से अबतक अर्जित सम्पत्ति का विवरण कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया है, जबकि कर्मचारी आचरण नियमावली के अनुसार आपको प्रत्येक 05 वर्ष में चल/अचल सम्पत्ति की घोषणा सम्बन्धी प्रपत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए, परन्तु उन्होंने घोषणा प्रपत्र नहीं दिया गया है। उनकीपत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों में सम्पत्ति की घोषणा सम्बन्धी प्रपत्र संलग्न नहीं है। आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-10 उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ के पत्र सं0-300/आठ-10/2022 दिनांक 08.08.2022 में प्राप्त निर्देशों के अनुसार सम्पत्ति सम्बन्धी पंचवर्षीय प्रपत्र की मांग की गयी है परन्तु उनके द्वारा पंचवर्षीय प्रपत्र प्रस्तुत नहीं किये गये है जिस कारण शासन को प्रपत्र उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं हो पा रहा है। जबकि कर्मचारी आचरण सेवा नियमावली के अनुसार आपको पचवर्षीय सम्पत्ति की घोषणा कर प्रत्येक 05 वर्ष पर प्रपत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए था, जिसके लिए वह दोषी पाये जाते है। पत्र में यह भी बताया गया है कि उनके केस को संज्ञान में लेने की कृपा करें एवं दोषियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता / अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम-1889 के अन्तर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के आदेश पारित करें।कानपुर विकास प्राधिकरण के आरोपों के निराधार होने के साक्ष्य एवं तथ्य पेश किए गए हैं जिनमें मुख्यता राजनैतिक आरोप मिथ्या होने के साक्ष्य सहित प्रमाण प्रस्तुत किया गया है। केडीए की ओर से उनके खिलाफ लगाए गए आरोंप जिनका वह सिरे से खंडनकरते आरहेहै लेकिन विभाग उनके प्रपत्रों की जांच के बिना कुछ भी सुनने को तैयार नही है। कानपुर विकास प्राधिकरण का आरोप संख्या-1 निरंजन मिश्र, निवासी, 194/6, साकेत नगर कानपुर एव सत्येन्द्र प्रताप सिंह. निवासी, लाल कालोनी, कानपुर के द्वास से मिलकर प्रार्थी के विरूद्ध एक झूठी शिकायत जिलाधिकारी, निर्वाचन प्रकोश्त के माध्यम से कराई गई कि निर्वाचन आयोग की आचार संहिता की धाराओं की अवहेलना करते हुये वे प्रार्थी घाटमपुर विधान सभा-218, से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के साथ में चुनाव प्रचार में भाग लिया गया है। प्रार्थी के उत्पीड़न साक्ष्य प्रमाण होने के साथ प्रति उत्तर प्रस्तुत है। राकेश रावत द्वारा 218 विधान सभा घाटमपुर वर्ष 2022 में मलदाताओं को पीएम आवास एवं कालोनी दिलाने का प्रलोभन का वीडियो साक्ष्य / आडियो साक्ष्य उपलब्ध नहीं किया जा सका है। राकेश रावत की 218 घाटमपुर विधान सभा-2022 में कोई भी आचार संहिता उल्लंघन की फोटो उपलब्ध नहीं है और न ही प्रार्थी के द्वारा आचार संहिता के दौरान कोई प्रचार-प्रसार में सम्मिलित नहीं था और न ही किसी नामित प्रत्याशी के साथ प्रचार-प्रसार में संलिप्त हैं।मतदाताओ को प्रधानमंत्री आवास एवं कालोनी दिलाने का प्रलोभन भी दे रहे है, जो कि निजी स्वार्थ से किया जा रहा है एवं वर्तमान में कानपुर विकास प्राधिकरण में तैनाती का हवाला दिया जा रहा है। कर्मचारी नेता राकेश रावत ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर उनसे निवेदन किया है कि लोकसेवक द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करने व अनुसूचित जाति कर्मचारी का उत्पीड़न करने में मिथ्या दस्तावेज लगाकर उनकी पुष्टि करना भारतीय न्याय संहिता/अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम 1989 के अन्तर्गत संज्ञनेय अपराध की श्रेणी में आता है। उपरोक्त प्रकरण की निष्पक्ष जाँच कराकर दोषियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की कृपा करें।