संवाददाता। कानपुर। भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते शैक्षणिक संबंधों का स्वागत प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बिडेन ने किया। हाल में ही आईआईटी काउंसिल ने इंडो-यूएस ग्लोबल चैलेंजेज इंस्टीट्यूट की स्थापना के लिए एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन यूनिवर्सिटीज के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। जी-20 बैठक से पहले दोनों नेताओं की द्विपक्षीय बैठक के बाद अमेरिका-भारत के संयुक्त बयान में शिक्षाविदों और अनुसंधान में कई अन्य बहु-संस्थागत सहयोग का स्वागत किया गया। कैबिनेट मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस सहयोग का स्वागत करते हुए कहा कि वे जी20 शिक्षा कार्य समूह के तहत भारत की प्राथमिकता को बढ़ावा देंगे। इंडो-यूएस ग्लोबल चैलेंजेज इंस्टीट्यूट महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्यक्रमों को संबोधित करने और उभरती प्रौद्योगिकियों में अंतःविषय समाधान प्राप्त करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। भारतीय विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले आईआईटी परिषद की ओर से एएयू अध्यक्ष बारबरा स्नाइडर और आईआईटी कानपुर के निदेशक अभय करंदीकर द्वारा इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया था। जी20 शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन के बीच एक बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच कई बहु-संस्थागत सहयोग का स्वागत किया है। एक अभूतपूर्व पहल में, भारत के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर से आईआईटी काउंसिल ने इंडो-यूएस ग्लोबल चैलेंजेज इंस्टीट्यूट की स्थापना और समर्थन प्राप्त करने के लिए एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन यूनिवर्सिटीज (एएयू) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है । इस संस्थान की स्थापना के इरादे की घोषणा इस साल जून में प्रधान मंत्री मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान की गई थी। इस एमओयू से आर्थिक, पर्यावरणीय और तकनीकी चुनौतियों का समाधान तलाशने का प्रयास करेगा जो दोनों देशों की सुरक्षा, समृद्धि और स्थिरता को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं। संस्थान साझेदार विश्वविद्यालयों का एक वर्चुअल नेटवर्क होगा और महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्यक्रमों को संबोधित करने और उभरती प्रौद्योगिकियों, जैसे टिकाऊ ऊर्जा और कृषि, स्वास्थ्य और महामारी से निपटने की तैयारी, सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी और विनिर्माण, एडवांस्ड मटेरियल्स, दूरसंचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और क्वांटम विज्ञान के क्षेत्र में अंतःविषय समाधान प्राप्त करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।इंडो-यूएस ग्लोबल चैलेंजेज इंस्टीट्यूट गवर्निंग काउंसिल अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने, ज्ञान साझा करने वाले मंच बनाने, संसाधन जुटाने की दिशा में काम करने और अनुसंधान उद्यम के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक संगठनात्मक ढांचा विकसित करेगा। इस समझौता ज्ञापन पर भारत के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले आईआईटी परिषद की ओर से प्रोफेसर अभय करंदीकर और एएयू के अध्यक्ष प्रोफेसर बारबरा स्नाइडर द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी-टंडन और आईआईटी कानपुर एडवांस्ड रिसर्च सेंटर लॉन्च करने के लिए न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी टंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के बीच एक और सहयोगी संस्थागत साझेदारी को औपचारिक रूप दिया गया है। इसके अतिरिक्त, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में बफेलो में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क और आईआईटी दिल्ली, कानपुर, जोधपुर और बीएचयू में बहु-संस्थागत संयुक्त अनुसंधान केंद्र भी स्थापित किए जा रहे हैं। इन साझेदारियों पर हस्ताक्षर करने पर संतोष व्यक्त करते हुए, केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि यह शिक्षा, अनुसंधान और कौशल विकास में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच बढ़ते संबंधों का संकेत है। उन्होंने कहा कि ये साझेदारियां जी-20 देशों के बीच शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग बढ़ाने के लिए भारतीय अध्यक्षता के तहत जी-20 शिक्षा कार्य समूह द्वारा निर्धारित प्राथमिकता के अनुरूप भी हैं। हमारे संस्थानों की पहलों की सराहना करते हुए, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्राप्त करने के लिए इन सहयोगों से अभूतपूर्व काम सामने आएगा।