कानपुर। जंगलों से भटककर आईआईटी परिसर में लगभग 11 दिनों से घूम रहा तेंदुआ वन विभाग के पिंजरे में अभी तक नहीं फंस सका है। वह लगातार वन विभाग के कर्मचारियों को धता बताने का काम कर रहा है। पहले दिन से ही पिंजरा लगाकर बैठे वन विभाग के अधिकारियों की योजनाओं को अभी तक सफलता नही मिल सकी हे। तेंदुआ लगातार कैंपस में धूमता नजर आ रहा है। तेंदुए को पकड़ने के लिए इस बार दो जगह पर मचान बनाई गई हैं। इस मचान पर बैठकर तेंदुआ का इंतजार किया जाएगा। इसके अलावा वन विभाग ने दो और पिंजरे मंगाए है। कुल चार पिंजरे अलग-अलग स्थान पर रखे जाएंगे। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुआ काफी चालाक होता है। इसलिए वो बार-बार जहां पर गाड़ी और लोगों का मूवमेंट होता है। वह वहां से अपना रास्ता बदल देता है। इसलिए पिंजरे में उसे कैद करना बड़ा मुश्किल है। चिड़ियाघर के डॉ. नासिर ने बताया कि इस बार तेंदुए के जो पद चिन्ह मिले हैं। उससे पता चला है कि वह धोबी घाट की तरफ इस बार गया है। वन विभाग ने जंगलों में अपने पांच कैमरे अलग-अलग दिशाओं में लगा दिए गए है। पिछले कई दिनों से तेंदुआ कैमरे में कैद नहीं हुआ है। केवल उसके पैरों के निशान ही मिल पा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह इसी परिसर में छुपा हुआ हैं। उसे जंगल की तरफ जाने का रास्ता नहीं मिल पा रहा है। जो मचान बनाई गई है उसे एक दिन पहले ही बनाकर केवल खड़ा कर दिया गया था। उसके आसपास किसी को भी नहीं जाने दिया गया है ताकि तेंदुए को लगे की ये ऐसे ही टॉवर बना हुआ है। ये सोचकर जब तेंदुआ उस ओर आएगा तो उसे पकड़ लिया जाएगा। नेशन शुगर इंस्टीट्यूट में सोमवार को तेंदुआ दिखाई देने की अफवाह फैल गई । सूचना पर वन विभाग के अधिकारी वहां भी पहुंचे और जंगल की छानबीन की तो कुछ पद चिन्ह वहां पर भी मिले। उन पद चिन्हों की जब जांच की गई तो पता चला कि ये निशान लकड़बग्घा के हैं जिसके बाद से परिसर के लोगों ने चैन की सांस ली है लेकिन डर अभी बरकरार बना हुआ है