January 22, 2025

आया है अब नौतपा, तपता हर इंसान।
जलती धरती पर लगे, करा है अग्निदान॥ 

आग उगल सूरज रहा, तपन बड़ी विकराल। 
गर्मी लाये नौतपा, हाल हुये बेहाल॥

पानी अब दुर्लभ हुआ, प्यास लगे बेजोड़।
कठिन नौतपा के दिवस, सूरज देता तोड़॥ 

धरती जलती आग में, नदियाँ भी बेहाल। 
तपन नौतपा की करे, बुरा सबका हाल॥

सिर पर कपड़े को रखो, बचो धूप के वार। 
नौ दिन चलता नौतपा, रहना तुम तैयार॥ 

पेय पियो शीतल सदा, खाओ हल्का भात। 
गर्मी अपार नौतपा, बचना लू आघात॥ 

बचने का तुम धूप से, करना सभी उपाय । 
अग्नि जलन सा नौतपा, वृक्ष छांव मन सुखाय॥ 

उठो सुबह जल्दी सदा, करो योग अभ्यास। 
तपन में तुम नौतपा, करना स्वास्थ्य प्रयास॥

दिवस नौतपा नौ रहें, धैर्य धरो हर बार।
बचे रहो तुम धूप से, नहीं पड़ो बीमार॥

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *