कानपुर। नियमों का उल्लंघन कर महज 30 मिनट में लाखों की हेराफेरी करने वाले ग्राम विकास अधिकारियों को मनरेगा के उपायुक्त की ओर से नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है। यही नही इस हेराफेरी के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाई की संस्तुति के लिए उनकी ओर से शासन को पत्र भी भेज दिया गया है। बतातें चलें कि शुक्रवार को निर्माण कार्यों का भुगतान करने के लिए 30 मिनट के लिए प्रदेशभर में मनरेगा का पोर्टल खोला गया। इसमें शासन का नियमों का पालन न करते हुए एक के बजाए छह एफटीओ (फंड ट्रांसफर ऑर्डर) 21.36 लाख रुपये का भुगतान करा लिया गया था। जबकि नियमों के तहत एक एफटीओ लगाकर 1.50 लाख रुपये से ज्यादा का नहीं लगाया जा सकता है। मनरेगा योजना के तहत हुए पक्के निर्माणों में इस्तेमाल किए गए मैटीरियल का गलत तरीके से भुगतान एक नहीं, तीन बीडीओ (ग्राम विकास अधिकारी) ने किया है। शिवराजपुर ब्लाक के बीडीओ की ओर से हुए 21 लाख के गलत भुगतान की जांच हुई, तो कल्याणपुर और सरसौल ब्लॉक के बीडीओ की ओर से भी फर्जीवाड़ा किए जाने का खुलासा हुआ। सीडीओ के निर्देश पर उपायुक्त मनरेगा सुधा शुक्ला ने सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मनरेगा के गांवों में कराए गए पक्के निर्माणों का छह माह से बजट नहीं जारी किया गया था। बता दें शिवराजपुर के बीडीओ के पास तीन ब्लॉक का मनरेगा भुगतान का जिम्मा है। समाचार पत्रों में यह मामला प्रकाशित होने के बाद उपायुक्त मनरेगा ने जिले के 10 ब्लॉकों में जांच की। इसमें कल्याणपुर ब्लॉक के बीडीओ ने चार एफटीओ बनाकर 10.91 लाख और सरसौल ब्लॉक के बीडीओ ने एक एफटीओ लगाकर तीन लाख का भुगतान फर्मों को कर दिया। उपायुक्त मनरेगा सुधा शुक्ला ने बताया कि तीनों मामलों की जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी। उपायुक्त मनरेगा ने जिले के 10 ब्लॉकों में जांच की। इसमें कल्याणपुर ब्लॉक के बीडीओ ने चार एफटीओ बनाकर 10.91 लाख और सरसौल ब्लॉक के बीडीओ ने एक एफटीओ लगाकर तीन लाख का भुगतान फर्मों को कर दिया। उपायुक्त मनरेगा सुधा शुक्ला ने बताया कि तीनों मामलों की जांच कराई जाएगी।