कानपुर। कानपुर पुलिस ने 34 साल से कोर्ट में चल रहे महिला हत्याकाण्ड की फाइल ढूंढने में सफलता पा ली है हालांकि फाइल ढूंढने में पुलिस के पसीने तक छूट गए। जिले भर के रिकॉर्डरूम और कोर्ट की एक-एक फाइल खंगाली गई जब जाकर कोर्ट में 34 साल पुराने मर्डर केस की फाइल मिल सकी। फाइल मिलने से साफ हो गया कि झूठा आरोप लगाकर एक पक्ष को फंसाने का प्रयास किया जा रहा था। एसीपी ने कोर्ट से लेकर प्रमुख सचिव को मामले में जवाब लिखकर पूरे केस की जानकारी दी है। एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार ने बताया कि कोर्ट में एक शिकायत की गई थी कि 19 जुलाई 1991 को हुए पूजा गौतम मर्डर केस की फाइल गायब कर दी गई है। केस में आज तक मर्डर केस के आरोपियों को सजा नहीं मिल सकी है। कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और इस केस से जुड़ी फाइल तलाशने का आदेश पुलिस कमिश्नर को दिया। शासन तक मामले की शिकायत की गई थी कि पूजा मर्डर केस को पुलिस ने दबा दिया है।इस केस की फाइल तलाशने के लिए चार टीमों का गठन किया गया। इसमें प्रत्येक टीम में पांच-पांच पुलिस कर्मी थे। इसके साथ ही पुलिस कमिश्नर ने एडिशनल सीपी हेडक्वार्टर विपिन कुमार मिश्रा से लेकर एसीपी कर्नलगंज को फाइल तलाशने के लिए लगाया था।फाइल तलाशने के लिए सबसे पहले पुलिस के रिकॉर्डरूम, कोतवाली थाने के सबसे बड़े रिकॉर्ड रूम, डीएम ऑफिस रेकॉर्ड रूम, जिला जज रिकॉर्ड रूम, पुलिस लाइन, एसआईएस दफ्तर और संबंधित सभी रेकॉर्डरूम को खंगाला गया। इस दौरान केस से जुड़े दस्तावेज मिले। इससे साफ हो गया कि मामले में फाइलन रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की गई थी। कोर्ट मोहर्रिर हेड कांस्टेबल साहब सिंह ने इस केस की फाइनल रिपोर्ट को कोर्ट में रिसीव किया था। यह दस्तावेज पुलिस को मिल गए थे। पुलिस तलाश करते हुए साहब सिंह के बेटे सीएमएम कोर्ट के पेशकार प्रमोद सिंह के पास पहुंची और तस्दीक कराने पर साफ हुआ कि यह फाइल को कोर्ट मोहर्रिर साहब सिंह ने ही रिसीव किया था। उनके हस्ताक्षर बिलकुल सही हैं। पुलिस अफसरों ने कहा कि अगर फाइल नहीं मिली तो फाइल को रिसीव करने वालों पर ही कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद सीएममए कोर्ट के पेशकार ने कोर्ट के रेकॉर्ड रूम से ही फाइल को तलाश करके पुलिस को सौंप दिया। एसीपी महेश कुमार ने बताया कि फाइल की जांच में सामने आया कि पूजा मर्डर केस में सबसे पहले कर्नलगंज थाने के दरोगा एसके शुक्ला, फिर दरोगा शीतला प्रसाद ने जांच की और इसमें धारा-302 को बढ़ाया, इसके बाद मामले की जांच तत्कालीन कर्नलगंज थाना प्रभारी रामशरण सिंह ने 18 सितंबर को मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी। तत्कालीन एसएसपी ने महज चार दिन बाद ही मामले की जांच एसआईएस को ट्रांसफर की थी। एसआईएस की जांच ने मामले में आरोपियों को क्लीनचिट देते हुए फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। नाबालिग बच्ची की मौत बीमारी से हुई थी। किराएदार ने पुलिस को गुमराह करके मकान मालिक पर उसके ही बेटी की हत्या की झूठी एफआईआर दर्ज कराई थी। एसीपी ने बताया कि मामले में एक रिपोर्ट बनाकर संबंधित कोर्ट, प्रमुख सचिव, सीएम ऑफिस समेत अन्य अफसरों को भेज दिया गया था। वादी ने फिर से मकान मालिक को फंसाने के लिए कोर्ट से लेकर शासन में झूठी शिकायत की थी। 40 साल पुरानी फाइल तलाशने में समय लग गया । एसीपी ने बताया कि मर्डर केस के आरोप से जुड़ी फाइल को तलाश करने में उप निरीक्षक अजय कुमार राय, मुख्य आरक्षी विक्रम सिंह, आरक्षी अमित पाल, और आरक्षी दीपक महतो ने फाइल को तलाश करने में अहम भूमिका निभाई है। इसके चलते पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार की ओर से इन सभी को नगद इनाम की घोषणा की गई है। एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार ने बताया कि कर्नलगंज थाना में 19 जुलाई 1991 को एक एफआईआर दर्ज हुई थी। वादी बेनाझाबर निवासी संजय अवस्थी ने आरोप लगाया था कि उनके मकान मालिक विपिन मोहन गौतम, अनिल गौतम, प्रदीप गौतम समेत पांच लोगों ने पीट-पीटकर विपिन के 13 साल की बेटी का मर्डर कर दिया था। मामले में कर्नलगंज पुलिस ने 18 सितंबर 1991 को चार्जशीट लगा दी थी। लेकिन तत्कालीन एसएसपी ने मामले की जाचं एसआईएस (स्पेशल इनवेस्टिंगेशन सेल) को मामला ट्रांसफर कर दिया था। एसआईएस ने मामले में जांच के बाद पाया कि झूठे आरोप लगाए गए हैं। इसके बाद एसआईएस ने मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। महिला हत्याकाण्ड की फाइल तलाश करने वाले पुलिस कर्मियों को इनाम दिया गया है।