संवाददाता।
कानपुर। नगर में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की कानपुर शाखा की ओर से आयोजित आईएमए सीजीपी प्रोग्राम के दौरान कैंसर विशेषज्ञ लखनऊ कैंसर इंस्टीट्यूट की डॉ. निशा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से कैंसर में एक परिवर्तित रूप दिखने लगा है। पहले जो लक्षण होते थे वह अब नहीं दिखाई देते हैं। कैंसर शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। अब के समय में मरीज के अचानक से हाथ पैरों में कमजोरी आ जाना, खांसी में खून के टुकड़े आना, लगातार सिर में दर्द बना रहना। मल-मूत्र का रुक-रुक कर होना आदि लक्षण भी कैंसर के कारण है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण और फास्ट फूड इसका सबसे बड़ा कारण है। बदलती लाइफस्टाइल के कारण भी कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। अगर आपके सीने में गांठ है तो वहां पर बने कैंसर सेल आपके शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकते हैं। जरूरी नहीं है कि सीने के आसपास ही वह सेल मौजूद रहे। अगर वजन कम हो रहा है और शरीर में कोई गांठ है, थकावट बहुत लग रही है तो इन लक्षणों को नजर अंदाज न करें। ऐसे में आपको तुरंत जांच करानी चाहिए। डॉ. प्रीति शुक्ला ने बताया कि कैंसर का सबसे बड़ा कारण प्रदूषण है। इससे गॉलब्लैडर के कैंसर अधिक हो रहे हैं। गंगा या नहर के किनारे जितनी भी खेती हो रही है, उनकी सब्जियों में सबसे ज्यादा प्रदूषण पाया जा रहा है और उससे लोगों में बीमारियां फैल रही है। शरीर के किसी भी सिग्नल को नजर अंदाज न करें क्योंकि कैंसर लाइलाज नहीं है, समय रहते इसकी रोकथाम संभव है। डॉ. विकास शुक्ला ने कहा कि ब्रेन ट्यूमर अक्सर केवल सिर दर्द और उल्टी के साथ ही आते हैं, जिन्हें कई बार माइग्रेन भी समझ लिया जाता है। आगरा मेडिकल कॉलेज के ईएनटी सर्जन डॉ. अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि यदि बार-बार नाक फूटे तो यह समस्या काफी गंभीर है। ऐसे में ट्यूमर होने का खतरा अधिक रहता है। 80% मरीज के ट्यूमर होने की वजह से ही बार-बार नकसीर फूटती है या फिर 20% मरीज ऐसे होते हैं जिनमें बीपी बढ़ने की वजह से ऐसा होता है। ऐसे में कभी भी मरीजों को लिटाना नहीं चाहिए क्योंकि नकसीर फूटने पर तमाम तरीके की भ्रांतियां समाज में फैली है। अगर नकसीर फूटती है तो मरीज को सीधा बैठाएं फिर नाक दबाए और तुरंत बर्फ से सिकाई करें। एक से डेढ़ मिनट के अंदर आराम मिल जाएगी। कभी भी नाक में कड़वा तेल न डालें इससे संक्रमण होने का खतरा अधिक रहता है।