November 22, 2024

संवाददाता।
कानपुर। इन दिनों कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में बहुत से ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनके अंदर तनाव काफी बढ़ चुका है। इसके पीछे का कारण है कि सूर्य की रोशनी न मिलाना। बीते एक माह से सूर्य की रोशनी लोगों को भरपूर मात्रा में नहीं मिल पा रही है। इसका असर अब रोगियों में देखने को मिल रहा है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय चौधरी ने बताया कि इस समय तनाव के मरीजों की संख्या बढ़ी है। लगभग 15 से 20% तनाव के मरीज रोज ओपीडी में आ रहे हैं। इनमें से कुछ नए मरीज भी है और कुछ पुराने है, जिनको पहले से ही मानसिक तनाव की समस्या है, उनकी संख्या अधिक है। बाकी तनाव के नए मरीजों की संख्या 4 से 5% ही है। डॉ. चौधरी के मुताबिक सूरज की रोशनी से हमें कई तरह के लाभ मिलते हैं। सबसे पहली चीज की हमारा मानसिक संतुलन ठीक रहता है। हमारा मस्तिष्क तेजी से काम करता है। सोचने की क्षमता अधिक मिलती है। धूप में रहने से लोगों को अपने शरीर में बेहतर महसूस होता है और अधिक ऊर्जा आती है। सूरज की रोशनी मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाती है जो आपका मूड को बेहतर बनाती है। डॉ. धनंजय चौधरी ने बताया कि सूरज की रोशनी की कमी के कारण अवसाद को ट्रिगर कर सकती है। एसएडी के लक्षणों में आपको उदासी महसूस होगी, दोस्त बनाने में कठिनाइयां होगी, अपनी बात कहने में कठिनाइयां होगी, खुद को हमेशा थका हुआ महसूस करेंगे, खाना अधिक खाएंगे और अधिक समय तक सोते रहेंगे। जब आप सूर्य की रोशनी के संपर्क में रहते हैं तो आपके मस्तिष्क में मेलाटोनिन का उत्पादन प्रभावित होने लगता है, जो आपके मस्तिष्क को काम करने की ऊर्जा देता है और फिर आपको नींद भी भरपूर मात्रा में रात में आती है। इसके साथ-साथ आपके शरीर में विटामिन डी भी पहुंचता है, जो आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। सूर्य से निकलने वाली परा बैंगनी किरणें आपकी हड्डियों के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक होती है। इसलिए कम से कम रोजाना 15 से 20 मिनट की धूप जरूर लेनी चाहिए। 

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