March 14, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर। यूपीसीए के पूर्व सचिव व राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला की शिकायत अब संसद के गलियारों तक पहुंच गयी है। विवादों में घिरे रहने वाले पूर्व सचिव राजीव शुक्ला ने अपने सरकारी दस्तावेजों में उम्र की हेरफेर की थी। इसकी शिकायत बाकायदे प्रमाण के साथ राज्यसभा के अध्यक्ष को मेल और पत्र के माध्यम से भेजी  गयी है। संघ के असन्तुष्ट सदस्यों ने पहले भी उनको प्रार्थना पत्र भेजा था। इस बार शिकायतों का पुलिन्दा और मुददा अधिक और बेहद ही गंभीर है। 

छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने जन्मतिथि के पेश किए गए दस्तावेजों में छेड़छाड़ की है, और संसद में झूठे शपथ पत्र पेश किए हैं। शिकायतकर्ता ने राज्यसभा के अध्यक्ष से उनके खिलाफ संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन पर तत्काल कार्रवाई की मांग भी उठायी है। 

शिकायतकर्ता ने अध्यक्ष का ध्यान  छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला द्वारा अपनी जन्मतिथि में की गई गंभीर छेड़छाड़ और संवैधानिक क्रियाओं को धता बताने के मामले की ओर आकर्षित करवाया है। सूत्रों के मुताबिक यह मामला निलिखित आधारों पर संविधान जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 और भारतीय दंड संहिता का साफ तौर पर उल्लंघन करता है। जन्मतिथि में विरोधाभासी दस्तावेजी प्रमाण एवं ऐतिहासिक डेटा में संसद के रिकार्ड में उनकी जन्म तिथि का दस्तावेज 13 सितम्बंर 1959 दर्ज है जबकि पासपोर्ट और पैनकार्ड में उनकी जन्मतिथि 20 जुलाई 1957 पंजीकृत है। यह विरोधाभास सिद्ध करता है कि राजीव शुक्ला ने उम्र के दस्तावेजों में हेराफेरी की है। यही नही  दो अलग अलग जतिथियों का उपयोग करके उन्होंने जानबूझकर संसदीय नियमों का उल्लंघन किया है। 

उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव और भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड के दो बार उपाध्यक्ष रह चुके राजीव शुक्ला  को उनके पद से मुक्त करने के लिए एपेक्स  सदस्य् ने सचिव जय शाह को प्रार्थना पत्र भेजा है। उन्होंने बीसीसीआई के नए सचिव को उन नियमों का उल्लंघन करने की शिकायत भी दर्ज करवायी है जिसमें वही व्यक्ति केवल बोर्ड का पदाधिकारी रह सकता है, जो  सांसद या विधायक और लोकनायक जैसे पद को शुसोभित नही करता है।यही नही अगर राज्यसभा अध्यक्ष चाहे तो बीसीसीआई के ही नियम 6(5)(0) के तहत राजीव शुक्ला की अयोग्य घोषित किया जा सकता है।गौरतलब है कि लोढा समिति की सिफारिशों के मददेनजर वह नियमों का उल्लंघन कर रहें है जिसमें साफ तौर पर अंकित है कि (ए) भारत का नागरिक नहीं है;(बी) 70 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका है(सी) दिवालिया या विकृत दिमाग घोषित या गया है;(डी) एक मंत्री या सरकारी सेवक है; (ई) 9 वर्षों की संचयी अवधि के लिए बीसीसीआई का पदाधिकारी रहा है;(एफ) को किसी आपराधिक अपराध के लिए अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया है और कारावास की सजा सुनाई गई है । 

हाल ही में राजीव शुक्ला पाकिस्तान के दौरे पर चले गए थे जबकि बोर्ड की ओर से और कोई भी सदस्य  नही गया था उसकी भी जांच होनी चाहिए। क्योंकि यह मामला सांसद और बोर्ड सदस्य का नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र की अखंडता से जुड़ा मामला बन जाता है। ऐसे में तत्काल प्रभाव से उनकी सदस्यता निलंबन और संपत्ति जब्ती की कार्रवाई आवश्यक है। जनता के विश्वास को बहाल करने के लिए जांच क्रिया पूर्णतः पारदर्शी होनी चाहिए। 

प्रार्थना पत्र भेजकर राजीव शुक्ला को निलम्बित करते हुए उनका कार्यकाल न बढाने की मांग उठायी गई है।