रिहायशीका नक्शा पास बनाई जा रही व्यवसायिक इमारत
कानपुर। जिस केडीए विभाग में मकान का नक्शा पास करवाने के लिए लोगों के जूते घिस जाते हैं, वहीं प्रभावशाली और रसूखदार लोग पैसों के दम पर चार मंजिल का नक्शा पास करवाते और छह-छह मंजिला इमारतों को तानने का काम आसानी से कर जाते हैं। कानपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी चार मंजिल का नक्शा और छह मंजिल तक छत का नक्शा आसानी से पास करने का काम कर रहें हैं। यही नही नक्शा पास होने की लिखित जानकारी देने का काम कर अवैध निर्माण बडे ही आसानी से होता दिखायी पडता है। इसमें कानपुर विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों की मिलीभगत आसानी से दिखायी देती है। सघन आबादी वाले ग्वालटोली क्षेत्र में रसूखदार ने बाजार के बीचों बीच 11/75 पर लगभग 215 वर्ग गज पर 6 मंजिला इमारत तान कर केडीए को लगभग खुली चुनौती दे डाली है। बाजार में निर्माणाधीन बिल्डिंग की चार मंजिल की छतों को आसानी से देखा जा सकता है लेकिन दो मंजिल की छत को छिपाकर डाला गया है नीचे दुकानों को भी निकाला गया। यही नही उसके ठीक बगल में बनी बिल्डिंग को शायद केडीए ने केवल तीन मंजिला बनाने की ही स्वीकृति प्रदान की थी। निर्माणाधीन बिल्डिंग पर भाजपा के नेताओं का पोस्टर और अधिवक्ता का बैनर देखकर शायद केडीए के कर्मचारियों के पैर ठिठक जाते हैं। केडीए की भ्रष्ट नीतियों से वाकिफ जनता यह मानती है कि शहर के बीचोबीच 4 मंजिल से ऊपर बनने वाली मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स एक-दो दिन में बनकर तैयार नहीं होतीं। छोटे से निर्माण की जानकारी पर जहां केडीए अफसर पहुंचकर मकान को सील कर देते हैं, वही अफसर इन अवैध इमारतों के निर्माण के वक्त दिखायी नही देते। इसे या तो सेटिंग-गेटिंग का खेल कह सकते है या फिर प्रवर्तन दल की लापरवाही और उदासीनता ,पिटाई और घेराव के डर से घनी आबादी वाले इलाकों में जाने से घबराती है।नक्शा पास करने के नाम पर केडीए वाले बड़े नखरे और कानून-कायदे बताते हैं। मगर, पैसा दे दो तो यही लोग नियमों का तोड़ बता देते हैं। अवैध बिल्डिंग्स को बनवाना केडीए कर्मचारियों के बिना संभव नहीं।सघन आबादी वाले इलाकों में धड़ल्ले से हो चुके अवैध निर्माणों की जिम्मेदारी केडीए के अलावा पुलिस-प्रशासनिक अफसरों की भी है। केडीए के अधिकारियों ने इस ओर अपना मुँह मोड रखा है।