संवाददाता।
कानपुर। नगर में घाटमपुर के पतारा में चकबंदी के दौरान तालाब की नवाइयत बदलने के मामले में पतारा पहुंची सात सदस्यीय टीम ने जांच की है। जांच में टीम को मौके पर तालाब मिला है। इस दौरान जांच टीम ने ग्रामीणों से सात दिन में तालाब से जुड़े अन्य दस्तावेज मांगे हैं। जिन्हें जांच में शामिल किया जाएगा। जांच में चकबंदी के दौरान अभिलेखों में हेराफेरी की बात आई सामने पुराने अभिलेखों मे शामिल जोत तालाब दर्ज, जबकि वर्तमान मे संक्रमणीय के रूप में दर्ज है। टीम अपनी जांच रिपोर्ट एसडीएम को सौंपेगी। जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। घाटमपुर थाना क्षेत्र के पतारा कस्बा के लगभग एक सैकड़ों लोगों ने जिला पंचायत सदस्य और पूर्व प्रधान के साथ घाटमपुर तहसील पहुंचकर एसडीएम को शिकायत पत्र देकर भूमाफियाओं के द्वारा तालाब की नवाइयत बदलवाने का आरोप लगाते हुए जांच कर कार्रवाई की मांग की थी। ग्रामीणों का आरोप था कि पतारा कस्बा के तिलसाडा रोड लगभग सात सौ वर्ष पुराना तालाब स्थित है। भूमाफिया तालाब को मिटाना चाहते हैं। कानपुर अभिलेखागार में निकल रही खतौनी गाटा संख्या- 2009 तालाब के रूप में दर्ज है। लेकिन चकबंदी के दौरान भूमाफियाओं ने राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से कागजों में हेराफेरी कर खतौनी में तालाब के स्थान पर संक्रमणीय भूमि दर्ज कर दिया। चकबंदी के दौरान तालाब की नवाइयत बदली गई थी। सोमवार को घाटमपुर तहसीलदार लक्ष्मी नारायण बाजपेई, एसीओ चकबंदी नीता पांडेय समेत सात सदस्यीय टीम जांच करने पतारा पहुंची। यहां पर टीम को तालाब मिला है। टीम ने ग्रामीणों को बताया कि पुराने अभिलेखों मे शामिल जोत तालाब दर्ज है। जबकि खतौनी ने संक्रमणीय जमीन दर्ज है। इसकी वह लोग जांच कर रहे है। कि किसके आदेश से तालाब की नवाइयत बदली है। टीम ने देखा कि तालाब के चारो ओर से गांव का पानी आता है। तालाब पुराने से गांवों में जलभराव की समस्या खड़ी होगी।