December 3, 2024

आज, के दिन जाने दशानन दहन का समय, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और आरती।

ॐ रामाय नमः

शारदीय नवरात्रि के उपरांत दशहरा का पर्व संपूर्ण भारत में आज मनाया जा रहा है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। इस दिन प्रभु श्री राम की विधिवत पूजा करने का विधान है। मान्यता है की आज के दिन भगवान राम की विधिवत पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन से दुख-दर्द मिट जाता है। इस वर्ष विजयादशमी पर रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि जैसे कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है।
पंचांग के अनुसार, इस बार विजयादशमी पर काफी शुभ योग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, रवि योग के साथ श्रवण योग बन रहा है। विजयादशमी का पर्व श्रवण नक्षत्र में होने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार, 12 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 24 मिनट पर श्रवण नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा, जो अगले दिन 13 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 25 मिनट से 13 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक है। इसके साथ ही रवि योग सुबह 6:20 से 13 अक्टूबर को सुबह 6:21 बजे तक है।
पंचांग के अनुसार, 12 अक्टूबर को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का आरंभ सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर होगा, जो 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 7 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। प्रदोष काल में रावण का दहन किया जाता है।


विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 3 मिनट से लेकर 2 बजकर 49 मिनट तक है।
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 44 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक है।
गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 54 मिनट से लेकर 06 बजकर 19 मिनट तक है।

दशानन दहन 2024 शुभ मुहूर्त :


पंचांग के अनुसार, रावण दहन प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है। इसलिए 12 अक्टूबर को रावण दहन के लिए शुभ मुहूर्त शाम में 5 बजकर 52 मिनट से शाम में 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।

वर्ष 2024 विजयादशमी पूजन विधि :


विजयादशमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। सुबह के समय सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके साथ ही अपराजिता और शमी के पेड़ की विधिवत पूजा कर लें। इसके साथ ही भगवान राम और हनुमान जी को फूल, माला, सिंदूर, अक्षत, मिठाई, फल आदि चढ़ाने के साथ घी का दीपक और धूप जलाकर मंत्र,चालीसा का पाठ और अंत में आरती कर लें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

भगवान श्री राम की आरती :


श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
नव कंजलोचन, कंज – मुख, कर – कंज, पद कंजारुणं।।
कंन्दर्प अगणित अमित छवि नवनील – नीरद सुन्दरं।
पटपीत मानहु तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं।।
भजु दीनबंधु दिनेश दानव – दैत्यवंश – निकन्दंन।
रधुनन्द आनंदकंद कौशलचन्द दशरथ – नन्दनं।।
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषणं।
आजानुभुज शर – चाप – धर सग्राम – जित – खरदूषणमं।।इति वदति तुलसीदास शंकर – शेष – मुनि – मन रंजनं।
मम हृदय – कंच निवास कुरु कामादि खलदल – गंजनं।।
मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो।।
एही भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनिपुनि मुदित मन मन्दिर चली।।

दशहरा के दिन पूजा के दौरान इन मंत्रों का करें जाप :


ॐ परस्मै ब्रह्मने नम:
ॐ सर्वदेवात्मकाय नमः
ॐ परमात्मने नम:
ॐ सर्वावगुनवर्जिताया नम:
ॐ विभिषनप्रतिश्थात्रे नम:
ॐ जरामरनवर्जिताया नम:
ॐ यज्वने नम:
ॐ कौसलेयाय नमः
ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नमः
ॐ व्रतधाराय नमः
ॐ सत्यव्रताय नमः
ॐ सत्यविक्रमाय नमः
ॐ सत्यवाचे नमः
ॐ वाग्मिने नमः
ॐ वालिप्रमाथानाया नमः
ॐ शरणात्राण तत्पराया नमः
ॐ दांताय नमः

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *