कानपुर। छापा डालने से पहले ही जुआरियों को फड पर पुलिस कमिश्नर के आने की सूचना देने वाले दरोगा को उच्च अधिकारी ने निलम्बित कर दिया है। दरोगा पर आरोप तय पाया गया कि उसने जुआरियों को फोन पर ही पुलिस की छापेमारी की मुखबिरी राजन मौर्या ने ही की थी। जिसके चलते कई अपराधी पुलिस के चंगुल से बच कर निकल गए। यही नही जांच में पाया गया कि राजन मौर्या ने छापेमारी की सूचना सिर्फ जुआरियों को ही नहीं दी, बल्कि छापेमारी करने जा रहे पुलिस टीम को भी थाने में पुलिस कमिश्नर के आने की बात कहकर भरमा दिया। इतना ही नहीं जांच के दौरान दरोगा के कई अपराधियों से कॉल डिटेल भी सामने आई है। दरोगा के खिलाफ जांच चल रही है। कर्नलगंज पुलिस ने जुआ माफिया मासूम को अरेस्ट करके जेल भेजा था। छापेमारी के दौरान मासूम के साथी मौके से भाग निकले थे। जुआरी के फरार साथियों की तलाश में पुलिस को तीन दिन पहले सूचना मिली कि स्वरूप नगर के एक लॉज में हैं। इंस्पेक्टर कर्नलगंज टीम के साथ उन्हें दबोचने के लिए रवाना हो गए।लॉज से महज 10 मिनट की दूरी पर इंस्पेक्टर के पास चौकी इंचार्ज राजन मौर्या का फोन आ गया। उसने इंस्पेक्टर को बरगलाया कि तुम्हारे थाने में पुलिस कमिश्नर पहुंच रहे हैं। दस मिनट तक वह इंस्पेक्टर को बातों में उलझाए रहा। इस दौरान लाॅज से मासूम के साथी नावेद, तलाह शफीक उर्फ जैन, बरक और शारिक फरार हो गए। जुआरियों के भाग जाने के बाद छापेमारी करने वाले कर्नलगंज इंस्पेक्टर ने दरोगा के भरमाने और कमिश्नर के आने की झूठी सूचना एसीपी/एडीसीपी महेश कुमार को दी। इसके बाद दरोगा के खिलाफ जांच शुरू हुई तो सामने आया कि जुआरियों को लाखों रुपए महीना लेकर संरक्षण देता है। इसी के चलते छापेमारी की मुखबिरी की और पुलिस अफसरों को भी भ्रमित किया। इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने मंगलवार रात को दरोगा राजन मौर्या को सस्पेंड कर दिया। इसके साथ ही विभागीय जांच भी खोल दी है। एडीसीपी सेन्ट्रल महेश कुमार ने बताया कि इस घटना से एक सप्ताह पहले वसूली के दो मामलों में वांछित चल रहे कमलेश फाइटर के यहां भी पुलिस टीम दबिश के लिए गई थी। उस दौरान भी दरोगा ने कमलेश से फोन पर बात की थी, जिसके सबूत मिले हैं। जब दरोगा से इस मामले में पूछा गया तो उसने अपने जवाब में कहा कि उससे कहा गया था कि कमलेश को बुलवाओ तो वह फोन करके उसे बुला रहा था। चौकी इंचार्ज के क्रियाकलाप को पुलिस अधिकारी ने जांच में संदिग्ध माना है।