आ. सं.

कानपुर। मकर संक्रांति के बाद सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही शुभ कार्यों की शुरुआत हो गई है। एक माह से बंद चल रहे मांगलिक कार्यक्रम 16 जनवरी से शुरु होंगे, जो 12 मार्च तक जारी रहेंगे।
ज्योतिषाचार्याें की माने तो अब तक सूर्य के धनु राशि में होने के कारण पिछले एक माह से खरमास चल रहा था, जिसमें सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों का ही आयोजन हो रहा था।
ज्योतिषाचार्य गौरव तिवारी के मुताबिक मकर राशि में प्रवेश करके सूर्य 12 स्वरुप धारण कर 12 महीनों में 12 राशियों में संक्रमण करते रहते है, उनके संक्रमण से संक्रांति होती है। ग्रहों के राजा सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य की उत्तरायण गति शुरु हो जाती है, जिसके बाद से ही सभी मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाते है।
14 जनवरी को मकर संक्रांति प्रारंभ हुई, जो 15 जनवरी तक रही । सनातन संस्कृति के अनुसार 16 जनवरी को उदयातिथि से मंगालिक आयोजनों की शुरूआत हो जाएगी।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक दांपत्य जीवन को शुभदायक बनाने के लिए वैवाहिक कार्यक्रमों में दूल्हे गोल्डन व मैरून कलर की शेरवानी पहने। आज के दौर में दुल्हनें लाल रंग के जोड़े को छोड़ कर अन्य रंगों के परिधान पहनती हैं। जबकि लाल रंग हिंदू धर्म में शुभ और मंगल माना जाता है, यह रंग दुल्हन के लिए अच्छी किस्मत व सुखी विवाहित जीवन का प्रतीक है। लाल रंग देवी दुर्गा व लक्ष्मी का रंग माना जाता है, जो स्त्री शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है।
लाल रंग विवाह का शुभ प्रतीक है, जो दुल्हन के नए जीवन की शुरुआत को दर्शाता है। साथ ही उसकी सुखसमृद्धि का भी प्रतीक है।