April 26, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर।
केवल गलत खानपान, अनियमित दिनचर्या व मोटापा से ही मधुमेह का खतरा नहीं होता है, बल्कि दूषित जल और धूम्रपान भी डायबिटीज के लिए बड़ा जिम्मेदार हैं। धूम्रपान करने और दूषित जल का सेवन करने वालों में मधुमेह का खतरा 6 गुना तक बढ़ जाता है। इसके अलावा उर्वरक व कीटनाशक दवाओं के अधिक इस्तेमाल से हरी सब्जियां और फल भी घर-घर बीमारियां बांटने का काम कर रही हैं।
डा. अंबेडकर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर दिव्यांगजन कानपुर के बायोटेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह राजपूत के शोध में इस बात की पुष्टि हुई है। शोध में उनके साथ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ. मनीष राज कुलश्रेष्ठ भी शामिल है।
ये शोध हाल ही में अंतरराष्ट्रीय जर्नल बायोलॉजिकल ट्रेस एलिमेंट रिसर्च के मार्च 2025 के अंक में प्रकाशित किया गया है। डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि अध्ययन के लिए लखनऊ के अलावा बाराबंकी, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, देवरिया, आजमगढ़, बहराइच, अयोध्या, सीतापुर, कुशीनगर और गोरखपुर के ऐसे 783 मरीजों को शामिल किया गया, जो राम मनोहर लोहिया संस्थान में इलाज कराने आए थे।
उन्होंने बताया कि अध्ययन में शामिल मरीजों में 480 डायबिटीज के रोगी निकले, जबकि 303 स्वस्थ थे। सभी के खून की जांच हुई तो रिपोर्ट में आर्सेनिक 72.2 प्रतिशत और निकिल 66.2 प्रतिशत की मात्रा सर्वाधिक पाई गई।
इन विषाक्त धातुओं के स्तर और डायबिटीज के मार्कर जैसे – एचबीए1सी, इंसुलिन प्रतिरोध, बीटा सेल फंक्शन के बीच संबंध का भी आकलन किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, दोनों दूषित धातुएं शरीर में इंसुलिन उत्पादन की क्षमता को न सिर्फ कम कर रही थी, बल्कि इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ाकर डायबिटीज की गिरफ्त में ले जाने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार भी थी।
दूषित पानी का सेवन और धूम्रपान करने वाले लोगों में इन दूषित धातुओं की मात्रा अधिक थी। अध्ययन में बहुतायत  लोगों में ये खतरनाक धातुएं सर्वाधिक पाई गईं। ये सभी डायबिटीज की चपेट में थे।
अध्ययन में शोध छात्रा शेफाली सिंह, डॉ. जूही वर्मा, डॉ. निखिल गुप्ता, डॉ. अनुपम कुमार पाठक और डॉ. वंदना तिवारी भी शामिल रही।