November 17, 2025

संवाददाता
कानपुर।
परेड स्थित 148 साल पुरानी दशहरा परंपरा के रावण के पुतले को बारिश ने मुश्किल में डाल दिया है। मंगलवार को पुतला तैयार करते समय पूरे दिन बारिश होती रही, जिससे उसे तिरपाल और पॉलिथीन से बचाना पड़ा। दशहरे के दिन सुबह और बीती रात भी हुई बारिश से पुतले को काफी नुकसान पहुंचा।
पुतला बनाने वाले सलीम ने बताया कि लगातार बारिश के कारण उन्हें रावण के पुतले की तीन बार मरम्मत करनी पड़ी है। बार-बार पुतले के कागज उखड़ जाते हैं। बारिश और तेज हवा से 90 फीट ऊंचे पुतले को बचाने के लिए उसे रस्सियों के सहारे बांधकर खड़ा किया गया।  परेड मैदान में दहन किए जाने वाले रावण की ऊंचाई इस बार 90 फीट रही। 
इस बार रावण की लंबाई 90 फीट रखी गई, लेकिन उसकी चौड़ाई बढ़ा दी गई। चौड़ाई बढ़ाने का उद्देश्य यह है कि जब पुतले को मैदान में क्रेन के सहारे खड़ा किया जाए, तो वह स्थायी रूप से टिका रहे।
रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले तैयार करने में काफी समय और लाखों रुपये का खर्च आता है। इन पुतलों को घुमावदार बनाने और मोड़ने में कोई समस्या न हो, इसके लिए मजबूत कागज और लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है।