
संवाददाता
कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट टीम को रणजी जैसी प्रतिष्ठित ट्रॉफी में चैंपियन बनाना ही एकमात्र लक्ष्य शेष रह गया है। इसके लिए खिलाड़ियों से कितनी भी मेहनत करानी पड़े वह कभी भी पीछे नहीं हटेंगे। यह कहना है उत्तर प्रदेश के सीनियर टीम के कोच ज्ञानेन्द्र पांडे का । विश्ववार्ता समाचार पत्र से विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि चोटिल होने के बाद भी वह सुबह 5 बजे खिलाड़ियों को होटल से लेकर सीधे मैदान पहुंचते हैं। दो सत्रों में चल रहे कंडीशनिंग कैंप में सुबह खिलाड़ियों को विकटो के बीच की दौड़ से लेकर मैदान के लगभग दस चक्कर कोच के ही साथ लगाने पड़ते हैं। शाम के सत्र में हाई कैचिंग, हार्ड कैचिंग के साथ ही लंबे शॉट्स पर विशेष फोकस किया का रहा है। जहां पिछले कई प्रशिक्षको ने टीम के खिलाड़ियों का मनोबल ही नहीं बढ़ाया। यही नहीं वह केवल कंडीशनिंग कैंप के दौरान बल्ले और गेंद से ही अभ्यास कराते रहे ।जबकि इस बार खिलाड़ियों को रनिंग ,स्ट्रेचिंग और विभिन्न प्रकार के व्यायाम करवा कर उनकी शारीरिक क्षमता को बढ़ाने का काम भी किया जा रहा है।
कोच ज्ञानेंद्र पांडे ने बताया कि 20 साल पूर्व प्रदेश की टीम चैंपियन बनी थी इसके बाद पर प्रशिक्षकों ने टीम में ना ही मनोबल बढ़ाने का काम किया और नहीं खिलाड़ियों को जीत के मंत्र दे सके हैं।10 दिवसीय कंडीशनिंग कैंप के मध्य में उनको पैर में पत्थर टकराने से गम्भीर चोट लगी लेकिन उन्होंने अपनी चोट पर नहीं बल्कि टीम पर विशेष ध्यान देने का काम किया है।
ज्ञानेन्द्र पांडे ने 1998-99 में पेप्सी कप के दौरान भारतीय टीम में पदार्पण किया था, लेकिन खेल के साथ उनका जुड़ाव काफी लंबे समय से था, उन्होंने 1989 से खेलना शुरू किया। वह उत्तर प्रदेश की रणजी ट्रॉफी टीम के लिए लगातार खेलते रहे, लेकिन 1996-97 के आसपास ही उन्होंने अपनी पहचान बनानी शुरू की, जहां लगातार दो सत्रों में 400 से अधिक रन बनाकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई।
पांडे ने 2006 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास ले लिया। उन्हें 2016 में क्रिकेट में उनके योगदान के लिए शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रतन सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि चुने गए सभी खिलाड़ियों के बीच संतुलित चार टीम बनाकर छह से आठ तक ग्रीनपार्क में अभ्यास मैच कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि अभ्यास मैच में खिलाडिय़ों का बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को फाइनल कैंप में प्रतिभाग करने का अवसर प्रदान किया जायगा। ज्ञानेन्द्र पांडे के एक और सहयोगी अर्जुन ने बताया कि इस बार का शिविर बीते सालों से लगाए गए शिविरों से अलग है। खिलाड़ी भी अपनी ओर से मेहनत कर रहे हैं।बताते चले कि इससे पहले कई अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अपनी सेवाएं प्रदान कर चुके हैं लेकिन सफलता नहीं मिल पाई है।हालांकि इससे पहले भी वो यूपी की सीनियर टीम की प्रशिक्षित कर चुके है।ग्रीनपार्क के हॉस्टल में रहकर क्रिकेट का ककहरा सीखने वाले ज्ञानेंद्र अब उप्र टीम को प्रोत्साहित कर एक बार फिर शीर्ष पर पहुंचाने के लिए नियुक्त किए गए हैं। उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि टीम से सैयद मुश्ताक व रणजी में बेहतर परिणाम निकाल सकें जो यूपीसीए को चैम्पियन बनने में सफलता दिल सके।





