
संवाददाता।
कानपुर। नगर में दांतों की समस्या पहले के समय ओल्ड एज के लोगों में ज्यादा देखने को मिलती थी, लेकिन अब दांतों की समस्या आम होती जा रही है। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। इन दिनों कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में (टेंपोरोमैडिबुलर जोड़) आर्थ्राल्जिया के मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। खास बात तो यह है कि यह बीमारी पहले 60-65 साल की उम्र में देखने को मिलती थी, लेकिन अब यह 22 साल से लेकर 45 साल के युवाओं में भी हो रही है। अगर आपके जबड़ो के जॉइंट में दर्द होता है और कट-कट की आवाज आती है तो ऐसे में आपको भी सावधान हो जाना चाहिए। कानपुर मेडिकल कॉलेज के दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. शिशिर धर ने बताया कि सर्दियों के समय में यह समस्या बहुत अधिक होने लगती है, क्योंकि सर्दियों में नसे सिकुड़ती है और जब नसे सिकुड़ती है तो ब्लड का सर्कुलेशन उतनी तेजी से नहीं हो पाता है, जितना होना चाहिए। इस कारण ऐसा दिक्कतें आने लगती है, लेकिन चिंता की बात यह है कि यह समस्या अब युवाओं में भी हो रही है। अगर आम दिनों की बात करें तो महीने में लगभग 125 मरीज आते हैं, लेकिन जब से ठंड शुरू हुई है तब से हर माह यह आंकड़ा 200 के पार पहुंच रहा है। अगर इस बीमारी को आपने जरा सा भी नजर अंदाज किया तो फिर मुंह से संबंधित और भी दिक्कतें सामने आ सकती हैं। इस बीमारी के कई लक्षण होते हैं। खोपड़ी के नीचे, कान के बगल में जब आप मुंह खोलते हैं तो वहां से कट-कट की आवाज आती है और जॉइंट दर्द होता है। इस ज्वाइंट का काम होता है जबड़े को ठीक तरह से चलाना। इसमें अगर दर्द हो रहा है या फिर मुंह चलाने में आवाज आ रही है तो ऐसे में तत्काल दंत रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि यह बीमारी अगर बड़ी तो फिर आपका मुंह खुलना धीरे-धीरे कम हो जाएगा और डेढ़ा मुंह खुलने लगेगा। डॉ. शिशिर धर के मुताबिक यह बीमारी कई कारण से फैल रही है। सबसे पहले तो लाइफ स्टाइल बिगड़ने के कारण। इस कारण बीमारी की चपेट में युवा अधिक आ रहे हैं। इसके अलावा जो लोग ज्यादा फास्ट फूड और जंक फूड का सेवन करते हैं, उन्हें भी इसका सामना करना पड़ता है। मानसिक तनाव, नींद पूरी ना लेना, टेढ़े मेढ़े दांत होना इसके मुख्य कारण है। यदि युवाओं को इस बीमारी से बचाना है तो सबसे पहले तो उन्हें अपनी लाइफ स्टाइल में तुरंत बदलाव करना चाहिए। जंक फूड, बहुत कड़ा खाना खाने वाली चीजों से दूर होकर उन्हें अपने खाने में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाना चाहिए। डॉ. शिशिर धर के मुताबिक अगर समय पर कोई मरीज आता है तो हम लोग सबसे पहले उसको मुलायम खाना खाने की सलाह देते हैं। कुछ दवाइयां देते हैं और सिकाई के माध्यम से मर्ज को दूर कर सकते हैं। अगर फिर भी आराम नहीं मिलता है तो फिर ऑर्थोसैंटेसिस के माध्यम से इलाज किया जाता है। इसमें दवा के एक मिश्रण का इंजेक्शन लगाते हैं फिर इसके बाद अंदर की पूरी सफाई करते हैं। इससे मरीज को 90% आराम मिलने की संभावना होती है। यदि फिर भी आराम नहीं मिलता है तो फिर सर्जिकल इलाज करना पड़ता है, हालांकि इसकी नौबत बहुत कम आती है। इसमें सबसे पहले सीटी स्कैन करके देखना पड़ता है कि कहीं कोई हड्डी बढ़ी तो नहीं है यदि कोई हड्डी बढ़ जाती है तो उसे ऑपरेशन कर के काटकर निकलना पड़ता है।