
संवाददाता।
कानपुर। आईआईटी कानपुर में प्रोजेक्ट एक्जीक्यूटिव ऑफिसर के पद पर कार्यरत युवती ने हॉस्टल में संदिग्ध परिस्थितियों में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। कल्याणपुर पुलिस और फोरेंसिक टीम ने दरवाजा तोड़कर शव को अपने कब्जे में लिया। प्रोजेक्ट एक्जीक्यूटिव ऑफिसर मूलरूप से ओडिशा की रहने वाली थीं। आईआईटी की ओर से घटना पर दुख जताया गया है। अब संस्थान पुलिस जांच का इंतजार कर रहा है। आईआईटी की तरफ से कहा गया कि डॉ. चिल्का के निधन से संस्थान ने एक प्रतिभाशाली और होनहार युवा शोधकर्ता खो दिया। आईआईटी कानपुर में एक बार फिर सुसाइड हुआ है। इस बार किसी स्टूडेंट ने नहीं, बल्कि महिला अधिकारी पल्लवी चिल्का (35 वर्ष) ने फांसी लगाकर जान दी है। मंगलवार सुबह कमरे उनके कमरे पर सफाई कर्मचारी पहुंचा था। काफी देर आवाज देने पर भी दरवाजा नहीं खुला। तो उसने खिड़की से देखा। पल्लवी का शव पंखे से लटक रहा था। सफाई कर्मी की सूचना पर पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर जांच करने पहुंची। दरवाजा तोड़कर शव को बाहर निकाला गया। जांच के दौरान कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस ने लैपटॉप, मोबाइल समेत और दस्तावेज जांच के लिए अपने कब्जे में लिया है। पुलिस सुसाइड कांड के पीछे की वजह जानने के लिए जांच में जुटी है। मूलरूप से ओडिशा के कटक के सेक्टर-10 सीडीए निवासी 35 वर्षीय पल्लवी चिल्का आईआईटी में बीते एक अगस्त से प्रोजेक्ट एक्जीक्यूटिव आफीसर के पद पर कार्यरत थीं। छात्रावास अधीक्षक अतिकुर रहमान ने बताया कि डा.पल्लवी पांच दिन पहले ही आर्य टावर में कक्ष संख्या-221 में शिफ्ट हुई थीं। प्रबंधन ने पल्लवी के पिता मधुसूदन शेट्टी को घटना की सूचना दी तो वह ओडिशा से कानपुर के लिये फ्लाइट से रवाना हुए। कल्याणपुर इंस्पेक्टर धनंजय पांडे ने बताया कि घटना का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। परिवार के लोगों को फोन पर मामले की जानकारी दी गई है। संभवत: बुधवार को परिवार के लोग कानपुर पहुंचेंगे। इसके बाद शव का पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा। आईआईटी जैसे उच्च शिक्षण और शोध संस्थान में भी छात्र और फैकल्टी अवसाद से जूझ रही है। यही वजह है कि छह सालों के भीतर फैकल्टी और छात्रों को मिलाकर छह लोगों ने सुसाइड कर लिया। पिछले छह वर्षों से यह क्रम लगातार चल रहा है। कभी प्रोफेसर तो कभी असिस्टेंट रजिस्ट्रार तो कभी छात्र तो अब रिसर्च स्टाफ मेंबर। वहीं आईआईटी प्रशासन ने शोध स्टाफ सदस्य डॉ. पल्लवी चिल्का के निधन पर शोक व्यक्त किया है। संस्थान की ओर से जारी बयान के मुताबिक डॉ. पल्लवी संस्थान के जैविक विज्ञान व बायोइंजीनियरिंग विभाग में एक शोध स्टाफ सदस्य थीं। वह अपने पोस्ट डॉक्टर शोध को आगे बढ़ाने के लिए संस्थान में शामिल हुईं थीं।