संवाददाता।
कानपुर। आईआईटी कानपुर अब कोटा बनता जा रहा है। यहां पर अब तक 14 सुसाइड हो चुके है। इसमें स्टूडेंट्स से लेकर स्टाफ तक शामिल हैं। वहीं, संस्थान के जिम्मेदार अधिकारी इस पर कुछ बोलना तक नहीं चाह रहे है। गुरुवार को झारखंड की प्रियंका जायसवाल ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। एक महीने के अंदर सुसाइड की यह तीसरी घटना थी। आईआईटी कानपुर में सुसाइड के बाद शहर के लोगों की जुबान पर एक ही शब्द था संस्थान में यह सब हो क्या रहा है। झारखंड के दुमका में नरेंद्र जायसवाल बेटी प्रियंका जायसवाल ने 29 दिसंबर को आईआईटी कानपुर में पीएचडी केमिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था। गुरुवार यानी 18 जनवरी की सुबह प्रियंका फोन कॉल रिसीव नहीं कर रही थी। इस पर प्रियंका के पिता नरेंद्र ने हॉस्टल की मैनेजर रितु पांडेय को कॉल किया। इसके बाद वो छात्रा के कमरे पर गईं और दरवाजे को धक्का दिया, तो देखा शव पंखे से लटक रहा था। इसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी आईआईटी प्रशासन को दी। साथ ही छात्रा के पिता को भी इस बारे में बताया। बेटी के खुदकुशी करने की बात पता चलते ही घरवाले कानपुर के लिए रवाना हो गए हैं। वे लोग शुक्रवार को कानपुर पहुंचेंगे। सहायक पुलिस आयुक्त कल्याणपुर अभिषेक कुमार पांडेय ने बताया, आईआईटी कानपुर में सुसाइड की सूचना पर पुलिस और फील्ड यूनिट पहुंची थी। छात्रा झारखंड के दुमका की रहने वाली है। मामले की जांच-पड़ताल की जा रही है।कानपुर IIT में 10 जनवरी की रात एक छात्र ने सुसाइड कर लिया था। छात्र विकास मीना एयरोस्पेस से एमटेक कर रहा था। उसका सेकेंड ईयर था। हॉस्टल के कमरे से वह काफी देर तक बाहर नहीं आया, तो आसपास के छात्रों को शक हुआ।उन्होंने दरवाजा नॉक किया। कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। इसके बाद छात्रों ने IIT प्रबंधन को इसकी सूचना दी। दरवाजा खुलवाया, तो अंदर छात्र का शव फंदे से लटका हुआ था। साथी छात्रों ने बताया कि लगातार 3 बार बैक आ गई थी। इसके चलते IIT ने छात्र को टर्मिनेट कर दिया था। इससे वो तनाव में था। छात्र मेरठ का रहने वाला था। आईआईटी कानपुर में 30 दिन पहले 20 दिसंबर 2023 को दिन पहले महिला अधिकारी पल्लवी चिल्का (35) ने फांसी लगाकर जान दी थी। सुबह कमरे उनके कमरे पर सफाई कर्मचारी पहुंचा, तब इसकी जानकारी हुई थी। हॉस्टल अधीक्षक अतीकुर रहमान ने बताया कि पल्लवी पांच दिन पहले ही आर्य टावर में कक्ष संख्या-221 में शिफ्ट हुई थीं। एक महीने के अंदर लगातार यह तीसरी घटना होने के बाद भी संस्थान की तरफ से कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अपनी प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं है। दैनिक भास्कर ने शिक्षण संस्थान की मीडिया टीम से बात की तो उन्होंने कहा कि इस विषय में अभी कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।कानपुर के मनोचिकित्सक डॉ. धनंजय चौधरी ने बताया, “इस समय पढ़ाई में कंपटीशन अधिक बढ़ गया है। इस कारण बच्चों में भी तनाव बढ़ता जा रहा है। जब कोई बच्चा अपना घर, अपना शहर छोड़कर नई जगह पर जाता है तो उसके सामने चुनौतियां अधिक होती है। ऐसे में छात्र-छात्राएं कभी-कभी तनाव में आ जाते है। यदि इस समय उन्हें कोई सही दिशा दिखाने वाला नहीं मिलता है तो उनके मन में नकारात्मक विचार आने शुरू हो जाते है।” डॉ. धनंजय चौधरी के मुताबिक, “13 से 30 साल के लोगों में नकारात्मक सोच बहुत जल्दी डेवलप होती है, क्योंकि इस उम्र में आपके हारमोंस बहुत जल्दी डेवलप होते है। इस समय आप जो सोचेंगे उसी तरह के हारमोन भी बनेंगे। जब-जब हारमोन बदलते है तो उत्तेजना अधिक होती है। ऐसे में ही कभी-कभी बच्चे गलत कदम उठा लेते है।” डॉ. चौधरी ने कहा, “बच्चों को यह समझाना बहुत जरूरी है कि यदि कोई मुसीबत में आप पड़ते हो तो उससे निकालने के लिए माता-पिता व शिक्षक ही सबसे ज्यादा साथ देंगे। यदि उनके मन में शिक्षकों व घर वालों का डर होगा तो कभी भी बच्चे अपनी बात किसी से शेयर नहीं कर सकेंगे। इसलिए उनके माइंड को परिवार के लोग पढ़े और नकारात्मक विचारों को निकालने का प्रयास करें।” लखनऊ के प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के मनोचिकित्सक डॉ. सुमित कुमार का कहना है, “लगातार इस तरह की घटना काफी चिंताजनक है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि संस्थान में पढ़ाई को लेकर काफी तनावपूर्ण माहौल हो। कभी-कभी छात्र-छात्राएं ऐसे माहौल को देखकर ही डर जाते है। इस कारण वह अपनी बात किसी और से शेयर नहीं कर पाते है और उनके मन में नकारात्मक विचार पनपने लगते हैं। जब अन्य लोगों ने IIT कानपुर में खुदकुशी होने की खबर पढ़ी तो जिनके बच्चे संस्थान में पढ़ रहे थे उन्होंने परिजन भी फोन कर बच्चों के हाल पूछते रहे। वहीं, संस्थान में अधिकारियों के बीच बैठक का दौर जारी रहा।