संवाददाता।
कानपुर। नगर मे विधि-विधान के साथ वेदों की शिक्षा-दीक्षा दिलाने के लिए जेके मंदिर में पूजा-पाठ हुआ। गुरुकुल प्रशिक्षुओं का वैदिक रीति-रिवाजों के साथ यज्ञोपवित संस्कार किया गया। वेद सबसे प्राचीन पवित्र ग्रंथ हैं। प्राचीन काल से भारत में वेदों के अध्ययन और व्याख्या की परम्परा रही है। मंदिर के मीडिया प्रमुख नरेंद्र बिष्ट ने बताया कि वैदिक सनातन वर्णाश्रम (हिन्दू) धर्म के अनुसार वैदिक काल में ब्रह्मा से लेकर वेदव्यास तथा जैमिनि तक के ऋषि-मुनियों और दार्शनिकों ने शब्द, प्रमाण के रूप में इन्हीं को माना है और इनके आधार पर अपने ग्रन्थों का निर्माण भी किया है। श्री राधा कृष्ण टेम्पल ट्रस्ट(जे के मंदिर) सनातन धर्म के आधार वेदों का संरक्षण, वेद अध्ययन एवं वेद पठन-पाठन को प्रोत्साहित करता है। इसी उद्देश्य से मंदिर प्रबंधन ने मंदिर परिसर में फ्री आवासीय गुरुकुल (श्री राधा कृष्ण वेद विद्यालय) की व्यवस्था की है, जहां यजुर्वेद का पठन-पाठन किया जाता है। वेद शिक्षा प्रारंभ करने से पहले प्रशिक्षु का यज्ञोपवीत किया जाता है। इसी क्रम में आज मंदिर के गुरुकुल प्रशिक्षुओं का वैदिक रीति से विद्वान आचार्यों द्वारा सामूहिक यज्ञोपवीत किया गया। यज्ञोपवीत कार्यक्रम गणेश पूजन से हुआ, उसके बाद नवग्रह पूजन, सप्तघृतमातृ पूजन, सर्वतोभद्र पूजन, दंड धारण, यज्ञोपवीत धारण, हवन, वेद आरम्भ तथा गुरु मंत्र संस्कार भिक्षा गमन और अंत में कशी गमन के साथ यज्ञोपवीत कार्यक्रम का समापन किया गया।