July 27, 2024

संवाददाता।

कानपुर। नगर के वातावरण में फैले प्रदूषण के कारण कानपुर में टीबी मरीजों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है। मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में रोजाना 200 से 250 मरीज आ रहे हैं। इसमें करीब 50 प्रतिशत मरीज नए आ रहे हैं। बाकी मरीज वह है जिनको पहले से ही इसकी शिकायत थी। चेस्ट हॉस्पिटल के डॉ. संजय वर्मा ने बताया कि इस समय ओपीडी में 15 से 20 प्रतिशत के करीब मरीज बढ़ गए है। इसमें टीबी के और सीओपीडी (बीड़ी, सिगरेट का सेवन करने वाले) दोनों तरह के मरीज आ रहे है। लगभग 40 साल के बाद की उम्र  वालों में सीओपीडी की दिक्कत देखने को मिल रही है। वहीं कम उम्र वालों में टीबी की समस्या हो रही है। इन दिनों वातावरण भी काफी गर्म है और प्रदूषण अधिक है। इसलिए भी मरीज बढ़ गए है। डॉ. वर्मा ने बताया कि  भारत सरकार की टीबी मुक्त योजना से लोग काफी जागरूक हुए है। घर-घर जाने वाली टीम लोगों की काउंसिलिंग कर रही हैं, यही कारण है कि जो मरीज चिह्नित किए जा रहे हैं वह भी अस्पताल में आ रहे हैं। इस कारण मरीजों की संख्या बढ़ी है। इन दिनों शहर में जगह-जगह निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा पहले से ही वातावरण में धूल और धूआ फैला हुआ है। डॉक्टरों की माने तो इसका असर लोगों के  फेफड़ों में देखने को मिल रहा है, जो लोग सिगरेट और बीड़ी का सेवन करते है उन मरीजों को काफी ज्यादा परेशानी हो रही है। डॉ. वर्मा ने बताया कि हफ्ते में 5 से 6 मरीज ओपीडी में ऐसे भी आ रहे हैं जिनको लंग्स कैंसर की समस्या हो रही है। हर ओपीडी में एक मरीज का आना तो संभव ही हैं। कभी-कभी इसकी संख्या दो भी हो जाती है। जो मरीज ओपीडी में आ रहे हैं, उनमें से 50 प्रतिशत लोगों में कांटेक्ट हिस्ट्री देखने को मिली है। मतलब उनके घर में पहले से ही किसी न किसी को टीबी की बीमारी है, जिस कारण उन्हें भी हुई है। इसलिए जिसको भी टीबी की समस्या  है उससे बातचीत करने में मास्क का प्रयोग करना चाहिए और घर में वेंटिलेशन जरूर रखे ताकि किटाणुओं को बाहर निकलने की जगह मिले। इसी लिए जिसके घर में टीबी का मरीज हो उसके घर वालों को भी समय-समय पर अपनी जांच करा लेनी चाहिए। सीओपीडी में मरीज को खांसी आती है फिर खांसी के साथ बलगम आने लगता है। सांस फूलती और बलगम के साथ खून आने लगता है। वहीं, टीबी के मरीजों में खांसी में बलगम और बुखार आता है। धीरे-धीरे वजन कम होने लगता है। भूख लगना कम हो जाती है। किसी को भी यदि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आ रही हो तो  जांच अवश्य करा ले।

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