संवाददाता।
कानपुर। नगर में फ़र्ज़ी शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में उच्च अधिकारियों की ही मिली भगत अभी तक सामने आ रही है। पुलिस की जांच में जल्द ही कई बड़े अधिकारियों का नाम सामने आएगा। एडी माध्यमिक की फर्जी ईमेल से जारी नौ टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों के पैनल में शिक्षकों का सत्यापन नहीं कराया गया था, जबकि इससे पहले सितंबर 2023 में पांच शिक्षकों के पैनल की नियुक्ति का लेटर आने पर पूरी प्रक्रिया निभाई गई थी। इसमें सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर फर्जी ईमेल से प्राप्त पत्र की जांच डीआईओएस ने क्यों नहीं कराई। क्या उन्हें इस फर्जी पत्र के बारे में पता था? इस सवाल का जवाब पुलिस तलाश रही है। पुलिस की जांच में तत्कालीन डीआईओएस व कार्यालय में तैनात दो बाबू फंसते नजर आ रहे हैं। डीआईओएस अरुण कुमार ने बताया कि चार सितंबर 2023 को एडी माध्यमिक की मेल से पांच शिक्षकों का पैनल आया था। इस पैनल का बोर्ड की वेबसाइट से सत्यापन कराया गया था। उसके बाद 18 सितंबर को उनको चयन पत्र जारी किए गए थे। वहीं 26 अक्टूबर को जब एडी माध्यमिक की फर्जी ईमेल से नौ शिक्षकों का पैनल आया तो तत्कालीन डीआईओएस फतेह बहादुर सिंह ने बिना सत्यापन ही सभी को नियुक्ति के लिए इंटर कॉलेजों में भेज दिया। डीआईओएस अरुण कुमार ने इस मामले में नौ शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस सभी शिक्षकों से संपर्क करने का प्रयास कर रही है। हालांकि अभी तक पुलिस शिक्षकों से संपर्क नहीं कर पाई है। पुलिस की शुरुआती पूछताछ में अभी तक सेवानिवृत्त डीआईओएस फतेह बहादुर सिंह की भूमिका संदिग्ध लग रही है। इसके अलावा डीआईओएस आफिस के प्रधान सहायक राजन टंडन और वरिष्ठ सहायक सुनील कुमार भी संदिग्ध लग रहे है। हालांकि राजन व सुनील कुमार दोनों ही निलंबित चल रहे है। तत्कालीन डीआईओएस फतेहबहादुर सिंह ने कहा इस प्रकरण में मेरी तरफ से कोई भी गलती नहीं की गई है। मेल आने के बाद प्रिंट आउट पर उन्होंने प्रधान सहायक को परीक्षणोपरांत और सत्यापनोपरांत आगे की कार्रवाई करने की बात कही थी, इसके अलावा पैनल के सत्यापन के लिए बोर्ड को पत्र भी लिखा था। इसका जवाब उनके कार्यकाल में नहीं आया था।