योगी सरकार को सांप्रदायिक विभाजनकारी नीतियों के कारण फिर शर्मिंदा होना पड़ा।
अल्पसंख्यक प्रदेश सचिव तौफिक कुरैशी।
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के मदरसा शिक्षा अधिनियम 2004 को असंवैधानिक घोषित करने वाले फैसले पर रोक लगाने का अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश सचिव हाजी तौफिक कुरैशी ने स्वागत किया और हाइकोर्ट के साथ योगी सरकार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए अपने जारी बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का अपने फैसले में कहना कि “हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को समझने में भूल की है और उसका ये मानना कि ये एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है, ग़लत है,” स्पष्ट करता है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह फैसला राज्य सरकार के राजनैतिक एजेंडे से प्रेरित था। क्योंकि ऐसा नहीं हो सकता कि हाई कोर्ट स्तर पर जज स्पष्ट तौर पर व्याख्याइत कानूनों का भी गलत व्याख्या कर दें। उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य समझ का व्यक्ति भी जानता है कि हमारे संविधान में दर्ज मौलिक अधिकार अल्पसंख्यकों को अपने धर्म के प्रचार, प्रसार के साथ ही सांस्कृतिक और शैक्षणिक विकास का भी अधिकार देता है। इसलिए हाई कोर्ट के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सख़्त टिप्पणी के साथ रोक लगा कर अच्छा किया। जारी बयान की पुष्टि करने के लिए आज़ाद समाचार ने दूरभाष द्वारा तौफिक कुरैशी से बात करी तो उन्होंने कहा कि सच है हाई कोर्ट के द्वारा लिया गया वह फैसला योगी सरकार की सांप्रदायिक विभाजनकारी नीतियों के साथ किया गया था। यह इससे भी समझा जा सकता है कि सुनवाई से पहले ही आज योगी सरकार ने 16 हज़ार मदरसों की मान्यता रद्द कर दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद योगी सरकार को फिर शर्मिंदा होना पड़ा। अब आगे की सुप्रीम कोर्ट की जुलाई में तारीख है उसमें कुछ और बेहतर होगा।