कानपुर। मेडिकल कॉलेज का सर्वर ठप हो जाने से उससे जुडे 6 अस्पतालों की ओपीडी व्यवस्था सोमवार को पूरी तरह से चरमरा गई। सर्वर ठप होने से हैलट, बाल रोग विभाग, सुपर स्पेशलिटी बिल्डिंग, चेस्ट अस्पताल, कार्डियोलॉजी अस्पताल, जच्चा-बच्चा अस्पताल की ओपीडी में डाक्टपरों को दिखाने आए मरीजों के पर्चे सुबह से बन ही नहीं सके। पर्चों के न बन पाने से दूर दराज से आए मरीजों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा। गौरतलब है कि ओपीडी के पर्चे सुबह 7 बजे से ही बनने शुरू हो जाते हैं, लेकिन सोमवार को जैसे ही काउंटर खुला वैसे ही सर्वर बैठ गया जिसके चलते एक भी मरीज का पर्चा ओपीडी के लिए नहीं बनाया जा सका। भीषण उमस में काफी देर तक लाइन में खड़े तीमारदार परेशान हो गए। इसके बाद कर्मचारियों ने इसकी जानकारी ऊपर अधिकारियों को दी। अधिकारियों के कहने पर ओपीडी के लिए कर्मचारियों के हाथ से पर्चे बनाए गए। हैलट अस्पताल में सबसे ज्यादा भीड़ सोमवार के दिन ही देखी जाती है। इस दिन यहां पर 2 हजार से ऊपर पर्चे बनाए जाते हैं, लेकिन सर्वर ठप हो जाने के कारण हाथ से पर्चे बनाए गए, जो की लगभग 1000 के आसपास ही बने। ऐसे में बहुत से मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ा। सुबह से ही लाइन में खड़े मरीजों का जब पर्चा नहीं बना तो वह मायूस हो गए। सर्वर न आने के कारण जांच कराने वाले लोगों की भी लंबी लाइन लग गई। कुछ लोग बिना जांच कराए ही वापस लौट गए तो कुछ लोगों ने निजी पैथोलॉजी में जाकर जांच कराई। ऐसे में बाहर जिलों से आए मरीजों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। ब्लड का सैंपल ना जमा होने के कारण मरीज मायूस हो गए।जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का सर्वर ठप हो गया। इससे अस्पतालों में हाथ से पर्चे बनाने पड़े। साथ ही लाइन में खड़े मरीजों व तीमारदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।सोमवार सुबह से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का सर्वर ठप हो गया। इससे हैलट और सम्बद्ध अस्पतालों में हाथ से पर्चे बनाने पड़े। इससे रोगियों को उमस भरी गर्मी में लाइन में अधिक देर तक खड़ा रहना पड़ा। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का सर्वर नेटवर्क में गडबड़ी के कारण आए दिन दिक्कत करता है। इससे हैलट के अलावा बाल रोग, जच्चा बच्चा, कॉर्डियोलॉजी में ऑनलाइन पर्चे नहीं बन पाते। सबसे अधिक दिक्कत यूजर्स चार्ज जमा करने में होती है। रोगियों और तीमारदारों को लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके सिंह का कहना है कि रोगियों के मैन्युअल पर्चे बनवा दिए गए।