संवाददाता।
कानपुर। नगर में वोट देने का हक हमारे लोकतंत्र का हिस्सा है। मतदान करने के लिए वोटर आईडी होना चाहिए। यदि वोटर आईडी नहीं है तो परेशान होने की जरूरत नहीं। चुनाव आयोग ने 11 फोटो आईडी दस्तावेजों को मतदान करने की अनुमति दी है। जिन्हें दिखाकर आप मतदान कर सकेंगे। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि मतदाता का नाम मतदाता सूची में जरूर होना चाहिए। पोलिंग बूथ पर यह पता चले कि आपका वोट पड़ चुका है तो तुरंत वहां के मुख्य अधिकारी को बताएं। वह आपको टेंडर वोट के लिए अधिकृत कर सकता है। इसके लिए एक बैलेट पेपर मिलता है। अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने निशाना लगाना होगा। टेंडर वोट का अधिकार रूल 49 पी के आधार पर मिलता है। आपने यदि वोट दिया और वीवीपैट में किसी और प्रत्याशी की पर्ची दिखे तो वोटर लिखित में शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके बाद पीठासीन अधिकारी एक टेस्ट वोट करेगा। यदि वोटर का दावा सही पाया जाता है तो वोटिंग रोक दी जाएगी और रिटर्निंग ऑफिसर को सूचना दी जाएगी। इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर जो कहेगा, उस आदेश का पालन करेगा। यदि वोटर का दावा गलत पाया जाता है तो उसके खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई होगी। वोटर आईडी कार्ड, वोटर स्लिप व अन्य जरूरी दस्तावेज लेकर बूथ पहुंचे। यहां महिला-पुरुष और दिव्यांगों के लिए अलग-अलग लाइन लगी होती है। फर्स्ट पोलिंग ऑफिसर वोटर लिस्ट कॉपी का इंचार्ज होता है, उसकी जिम्मेदार वोटर की पहचान करना होती है। आपकी मौजूदगी का पता लगाने के लिए नाम और सीरियल नंबर पोलिंग एजेंट द्वारा बोला जाता है। यदि आपकी पहचान चैलेंज नहीं होती है तो सेकेंड पोलिंग ऑफिसर के पास जाना होता है। वह आपके लेफ्ट फिंगर पर स्याही लगाता है और सीरियल नंबर व वोटर नंबर रजिस्टर में रिकार्ड करता है। फिर रजिस्टर में साइन होते हैं। थर्ड पोलिंग ऑफिसर वोटर स्लिप ले लेता है। फिर वह बैलेट बटन प्रेस करता है। इसके बाद आपको वोट डालने का मौका मिलता है। इस तरह आप हो जाते हैं लोकतंत्र के उत्सव में भागीदार।