November 22, 2024

हाईकोर्ट का निजाम नजम के 
अवैध निर्माणो का काम तमाम।

80/80 में प्राधिकरण से लगाई गई सील को दूसरे ही दिन निकाल कर फेक पुनः जारी किया अवैध निर्माण बिल्डरो ने।

स्वतंत्र शुक्ला।
कानपुर।
नगर में नियमो के साथ निर्माण कार्य कराने की जिम्मेदारी कानपुर विकास प्राधिकरण की रहती है, लेकिन नियमो को दरकिनार करते हुए, सैकड़ो बहुमंजिला अवैध निर्माण हो रहे है। जिनकी शिकायते समय समय पर समाचार पत्रों, समाजसेवकों के माध्यम से विभाग को सूचित किया जाता रहा है। लेकिन केडीए का प्रवर्तन विभाग हमेशा इसकी अनदेखी करता है। कारण बिल्डर्स औऱ स्वयं को लाभान्वित करना है। और राजस्व का क्षय करना है, दैनिक समाचार पत्र विश्ववार्ता समय समय पर अवैध निर्माणों के विषय मे नाम पता फोटो सहित खबर प्रकाशित करता रहा है। ज्ञात हो 3 जून की पत्थरबाजी की घटना से पूर्व घनी बस्तियों में 7 मंजिला 9 मंजिला अवैध निर्माणों, जो कुख्यात बिल्डर हाजी वसी सहित अन्य बिल्डरों के थे। जिनके विषय मे प्राधिकरण में अधिकारियों से कार्यवाही की जानकारी करने पर यही बताया गया था कि घनी बस्ती तंग गलियों में जाना मुश्किल होता है इसलिए वहां अवैध निर्माण पनप जाते है लेकिन कार्यवाही करी जाएगी। परन्तु महीनों गुजर जाने के बाद भी उन अवैध निर्माणों पर कोई कार्यवाही नही होती है, फिर उसके बाद घटना घटित होती है 3 जून पत्थर बाजी की, जिसमे शासन के सख्त आदेश की ये अवैध निर्माण करने वाले बिल्डर्स ही उपद्रवियों को धन उपलब्ध कराते है उपद्रव के लिए तब दिखावे के लिए आंशिक रूप से हाजी वसी के मात्र तीन अवैध निर्माणों पर सील लगाकर इतिश्री कर दी गयी थी। हाल ही में एक ताजा मामला सामने आया है, जिसमे माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक जनहित याचिका को सज्ञान में लेते हुए अवैध निर्माणों के विरुद्ध सख्त फटकार लगाते हुए कानपुर विकास प्राधिकरण, प्रदूषण बोर्ड और अग्निशमन विभाग को निर्देशित किया कि इन अवैध निर्माणों पर कार्यवाही कर अवगत कराएं, मामला है 80/80 कोपरगंज क्षेत्र के थाना अनवरगंज का। जिसमे विगत वर्ष “31/3/23” को भीषण अग्निकांड हुआ था, जिसमे पांच टावर करोड़ो के रेडीमेड कपड़ो के साथ जलकर क्षतिग्रस्त हुए थे जिसमें एक जनहानि भी हुई थी जिनमे कानपुर विकास प्राधिकरण, प्रदूषण बोर्ड,अग्निशमन विभाग और रेरा से कोई भी प्रमाण पत्र नही प्राप्त किया गया था। ठीक इसके पीछे 100 मीटर की दूरी पर 80/80 में अवैध निर्माण करते हुए 25 भूखंडो में टावरों का जखीरा खड़ा किया गया। जो लगभग 7000 स्क्वायर गज जमीन पर है चूंकि पिछले हुए अग्निकांड की घटना बड़ी भयावह थी तो उसको सज्ञान में रखते हुए आरटीआई के सक्रिय कार्यकर्ता रफत महमूद ने पिछले अग्निकांड से संबंधित टावरों और नवनिर्मित 80/80 के टावरों के विषय मे संबंधित विभागों से लिखित जन सूचना मांगी की क्या इन सभी मे मानकों एवं नियमो का पालन किया गया है। तब विकास प्राधिकरण सहित अन्य विभागों ने अवगत कराया कि नजम, हमराज बिल्डर सहित अन्य बिल्डरों ने अनापत्ति प्रमाण पत्र किसी भी विभाग के द्वारा प्राप्त नही किये है। इसके उपरांत रफत महमूद एक वर्ष तक प्राधिकरण सहित अन्य विभागों को इन टावरों पर कार्यवाही करने के लिए जन सूचना के माध्यम से प्रेरित करते रहे। लेकिन अवैध निर्माणों के प्रति मुख्य कार्यवाही जो विकास प्राधिकरण द्वारा सील करने या ध्वस्त करने की बनती है, कोई कार्यवाही नही की गई। तब मजबूर हो करके महमूद साहब ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में जनहित याचिका दायर करी। जिसको उच्च न्यायालय की दो पक्षिय बेंच अरुण भनसाली एवं विकास बुधवार न्यायधीशों ने सज्ञान में लेते हुए 10/05/24 को संबंधित विभागों को कड़ी फटकार लगाते हुए आदेशित किया कि 10/07/24 तक आवश्यक कार्यवाही करते हुए जवाब दाखिल करे। कड़ी फटकार के बाद विकास प्राधिकरण कुम्भकर्णीय नींद से जागा, और 02 जून को अवकाश दिवस रविवार को कार्यवाही करते हुए 80/80 में 19 टावरों सहित जोन 1 के 10 अन्य बहुमंजिला अवैध निर्माणों को सील करने की कार्यवाही करी, और स्वयं की पीठ थपथपाते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी कि प्राधिकरण के गुप्त अभियान के अंतर्गत ये कार्यवाही करी गयी है, न कि उच्च न्यायालय की फटकार के बाद।  ये कार्यवाही रविवार को करी गयी और सोमवार को ही प्राधिकरण द्वारा लगाए गए 80/80 में 19 पट्टे की सील को बिल्डरो ने निकाल कर फेंक दिया, और पुनः अवैध निर्माण जारी कर दिया। ये गुप्त प्रभावी कार्यवाही प्राधिकरण की जो दूसरे दिन ही ध्वस्त हो गयी। मौके पर जाकर जिसकी जांच की जा सकती है। विचारणीय विषय ये है कि जिन अवैध निर्माणों के लिए विकास प्राधिकरण में मुख्यतः प्रवर्तन विभाग गठित किया गया है वो रोकथाम तो लगाता है लेकिन स्वयं कि प्रापर्टी पर यदि कोई परिवार निर्माण करा रहा है कारण जिसके बच्चे बड़े हो गए हो और परिवार में सदस्यों की संख्या बढ़ गयी हो। उन निर्माणों में ही नियम कायदे, मानकों पर विभाग कार्यवाही करता है न कि बहुमंजिला इमारतों को अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों पर जिसमे प्रति वर्ष करोड़ो रूपये के राजस्व का घपला प्रवर्तन विभाग के अधिकारियों और बिल्डर्स के द्वारा किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *