संवाददाता।
कानपुर। नगर में माध्यमिक शिक्षा भर्ती घोटाला प्रकरण में एक नया मामला सामने आया है। मदन मोहन अग्रवाल बालिका इंटर कॉलेज में तैनात कथित शिक्षिका ने बोर्ड पेपर में ड्यूटी भी की थी। इसके अलावा आर्य कन्या इंटर कॉलेज में तैनात कथित शिक्षिका ने इस्तीफा देने से एक दिन पहले फर्जी मेडिकल लगाया था, लेकिन फर्जीवाड़े का खुलासा होते ही दूसरे दिन ही इस्तीफा भी दे दिया। इस प्रकरण में अभी तक डीआईओएस कार्यालय में तैनात दो बाबू को सस्पेंड किया गया है। बताते चले कि कानपुर में एडी माध्यमिक की फर्जी ईमेल आईडी बनाकर 9 शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश दिए गए थे। इसमें से दो शिक्षिकाओं को स्कूलों में नियुक्ति कर दी गयी थी, जबकि बाकी शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थी कि उससे पहले ही फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया। मदन मोहन अग्रवाल बालिका इंटर कॉलेज में तैनात मिर्जापुर की विनीता देवी ने दिसंबर माह में नौकरी ज्वाइन कर ली थी। इसके बाद स्कूल की तरफ से कोई भी सत्यापन न कराते हुए उन्हें बोर्ड ड्यूटी में भी लगाया गया था। लगभग छह पेपरों में ड्यूटी भी की थी। मदन मोहन अग्रवाल बालिका इंटर कॉलेज में जाने पर पता चला कि विनीता देवी सोशलसाइंस की क्लास लेती थी, जबकि फर्जी मेल से आये पत्र में उन्हें अंग्रेजी विषय का प्रवक्ता बताया गया था। आखिर स्कूल के पास ऐसी कौन सी मजबूरी या दबाव था, जिसके कारण शिक्षिका को उनके मन मुताबिक विषय और बिना सत्यापन के बोर्ड पेपर में ड्यूटी करा दी गयी। आर्य कन्या इंटर कॉलेज में तैनात वाराणसी की रिक्षा पांडेय ने एक दिन भी क्लास नहीं ली, क्योंकि वहां के प्रबंधक को उन पर पहले ही शक था तो उन्होंने कहा कि बिना सत्यापन के क्लास में ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी। इसलिए दो मार्च को नौकरी ज्वाइन करने के बाद वह स्टाफ रूम में बैठकर पूरा दिन गुजार देती थीं। रिक्षा को फंसने का पहले ही डर सताने लगा था इसलिए उसने 26 अप्रैल को ही मेडिकल लगा दिया। खास बात यह है कि मेडिकल मिर्जापुर का है और उसमें 26 अप्रैल की ही तारीख पड़ी है। मिर्जापुर में बना मेडिकल उसी दिन कानपुर में कैसे जमा हो सकता है। इसके बाद 27 अप्रैल को ही रिक्षा ने नौकरी से इस्तीफा भी दे दिया।