संवाददाता।
कानपुर। नगर के जेके कैंसर हॉस्पिटल में यदि आप अपने मरीज को लेकर आ रहे तो ध्यान रखे यहां आने के बाद मरीज के साथ तीमारदार भी बीमार हो सकते हैं। यहां पर आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को यहां की अव्यवस्थाओं का विकट सामना करना पड़ेगा। गर्मी में न तो पीने के लिए ठंडा पानी मिलेगा न ही रुकने के लिए रैन बसेरा। इस कारण मरीजों को भीषण गर्मी में पेड़ की छांव का सहारा लेना पड़ रहा है। गर्मी से राहत देने के लिए परिसर में दो वॉटर कूलर लगाए गये है। मगर वह दिखावा मात्र ही है, क्योंकि इसमें कभी ठंडा पानी नहीं होता है। मरीजों को सादे पानी से ही प्यास बुझानी पड़ती है या फिर पानी की ठंडी बोतल खरीदनी पड़ती है।कैंसर हॉस्पिटल में दूर दराज से आने वाले मरीजों ने बताया कि अगर हॉस्पिटल पहुंचने पर देरी हो जाती है तो फिर इलाज नहीं मिल पाता है। इसलिए कभी-कभी रुकना भी पड़ जाता है। ऐसे में रैन बसेरा में केवल एक ही हॉल खुला हुआ है। वहां पर क्षमता से ज्यादा लोग है, ऐसे में फुटपाथ पर ही पूरी रात गुजारनी पड़ती है। जेके कैंसर संस्थान की ओपीडी में प्रतिदिन 200 से 250 मरीज रोज इलाज के लिए आते हैं। इस अस्पताल में कानपुर के अलावा आसपास के करीब 18 जिलों के मरीज यहां पर आते हैं। इन मरीजों को डॉक्टरों द्वारा परामर्श तो मिल जाती है, लेकिन संस्थान में भर्ती होने, जांच और दवा समेत अन्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। उन्नाव से अपनी पत्नी का इलाज कराने आए सर्वेश कुमार ने बताया कि मंगलवार को पत्नी को दिखाने के लिए आए थे। उन्हें मुंह का कैंसर हो गया है। डॉक्टर ने 1100 रुपए की दवा लिखी है, लेकिन जब तक दवा लेकर आये तब तक डॉक्टर का समय पूरा हो गया था। अब रात फुटपाथ पर काटेंगे फिर सुबह डॉक्टर को दिखाएंगे। जेके कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद ने कहा कि तीमारदारों के रुकने के लिए रैन बसेरे की व्यवस्था संस्थान की तरफ से की गयी है । सभी को वहीं पर जाकर रुकना चाहिए। यदि कोई डॉक्टर बाहर की दवा लिख रहे है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।