September 8, 2024

कानपुर।अब डफरिन अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं को जांच कराने के नाम पर इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। इन महिलाओं की सभी जरूरत वाली जांचे डफरिन में ही कराई जाएगी। गर्भवतियों की थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, थायराइड और एचसीवी जैसी कई महत्वपूर्ण जांचें कराई जाएगी। अभी तक इन जांचों की सुविधा डफरिन अस्पताल में नहीं हैं, जिसकी वजह से गर्भवतियों को जांच कराने के लिए उर्सला या निजी अस्पताल का रुख करना पड़ेगा। अब मरीजों का सैंपल एकत्र करने की व्यवस्था अस्पताल में ही की गई है। बड़ा चौराहा स्थित डफरिन अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 500 के करीब महिलाएं इलाज के लिए आती हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत महिलाएं गर्भवती शामिल रहती है। अस्पताल में अभी गर्भवतियों की सीबीसी, एलएफटी, केएफटी, बिलुरुबिन, एसजीओटी, एसजीपीटी, यूरिक एसिड, सीआरपी आदि जांचें ही की जाती है। इन जांचों के साथ ही गर्भवतियों के लिए थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, थायराइड और एचसीवी आदि महत्वपूर्ण जांच नहीं होती है। इन जांचों के लिए गर्भवतियों को डफरिन अस्पताल से उर्सला अस्पताल भेजा जाता है या अन्य निजी अस्पताल या पैथोलॉजी में जांच कराने की सलाह दी जाती हैं। निजी पैथोलॉजी में इन जांचों के लिए गर्भवतियों या उनके परिजनों को हजारों रुपए चुकाने पड़ते हैं। इसके साथ ही गर्भवतियों को बार-बार आने-जाने में भी तकलीफों का सामना करना पड़ता है।

गर्भवतियों की सभी एक छत के नीचे मिले इसके लिए अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ.सीमा श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रूचि जैन और अस्पताल प्रबंधक डॉ.दरख्सा परवीन ने उच्चाधिकारियों और उर्सला अस्पताल के निदेशक डॉ.एचडी अग्रवाल से वार्ता की। इसके बाद तय हुआ कि गर्भवतियों को थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, थायराइड और एचसीवी कराने उर्सला नहीं आना पड़ेगा। डफरिन अस्पताल में ही उनके सैंपल लिए जाएंगे, उसके बाद अस्पताल प्रशासन उन सैंपलों को एकत्र कर उर्सला अस्पताल की पैथोलॉजी में जांच के लिए भेजा जाएगा। इससे गर्भवतियों को दिक्कत नहीं होगी, भटकना नहीं पड़ेगा।

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