संवाददाता।
कानपुर। नगर मे एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार ने ड्रग माफिया हिस्ट्रीशीटर सुशील कुमार शर्मा उर्फ बच्चा के घर 10 थानों की फोर्स के साथ छापा मारा। साथ में महिला पुलिस भी मौजूद थी। सुशील के एक घर में ताला बंद मिला जबकि दूसरे घर की तलाशी की गई, लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। शातिर ड्रग्स तस्कर को पहले ही सूचना मिल गई और वह भाग निकला। पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा।
एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार ने बताया कि कुछ दिन से जानकारी मिल रही थी कि शास्त्री नगर काली मठिया निवासी सुशील कुमार शर्मा उर्फ बच्चा और उसका भाई राजकुमार दोनों ड्रग्स का कारोबार करते थे कई बार पुलिस ने दोनों को अरेस्ट करके जेल भेजा और भारी मात्रा में मादक पदार्थ भी बरामद किया था, लेकिन जमानत पर छूटने के बाद से सुशील और राजकुमार फिर से मादक पदार्थ की तस्करी में सक्रिय हो गए । पुलिस को इनपुट मिला कि सुशील के घर में भारी मात्रा में मादक पदार्थ और अवैध असलहे हैं। एसीपी कर्नलगंज ने 10 थानों की फोर्स के साथ शनिवार दोपहर को सुशील के घर पर छापा मारा। लेकिन पुलिस के छापेमारी की सूचना लीक होने के चलते शातिर तस्कर भाग निकला। जबकि स्थानीय लोगों ने बताया कि शनिवार सुबह ही सुशील को काली मठिया के पास देखा गया था। शास्त्री नगर पुलिस चौकी से चंद कदम की दूरी पर ही सुशील और राजकुमार का घर है। इसके बाद भी काकादेव, कल्याणपुर और आस पास के इलाके में चरस, गांजा और स्मैक की बड़े पैमाने पर सप्लाई दोनों भाई कर रहे हैं। एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार ने बताया कि सुशील बच्चा पर मादक पदार्थ तस्करी समेत अन्य 35 गंभीर मामले दर्ज हैं। जबकि उसके भाई राजकुमार पर 15 मुकदमे हैं। यह सभी गंभीर धाराओं के मुकदमें कानपुर के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं। शातिर तस्कर की हिस्ट्रीशीट खोलने से लेकर गैंगस्टर की कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन शातिर ने मादक पदार्थ की तस्करी का धंधा बंद नहीं किया। 22 फरवरी 2021 को तत्कालीन डीआईजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने सुशील बच्चा और राजकुमार बच्चा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी। भारी फोर्स ने इलाके की घेराबंदी की थी और सुशील बच्चा के अवैद्य मकान को ध्वस्त कर दिया था। जांच के दौरान सुशील के पास से करोड़ों की संपत्ति मिली थी। सुशील बच्चा और उसके भाई राजकुमार को फरवरी 2021 में पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। इनके खिलाफ जब गैंगस्टर की कार्रवाई की गई और संपत्ति जब्त किए जाने के बाद उसका आकलन शुरू हुआ तो सामने आया कि इन्होंने श्रम विभाग के सरकारी क्वार्टर कब्जा किया हैं और अरमापुर स्टेट की सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण कर के मकान बनाए हैं।