कानपुर। कानपुर में पौधरोपण कराने और हरियाली बढ़ाने के जिम्मेदार वन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। मेट्रो निर्माण के चलते उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूपीएमआरसी) 2019 से अब तक काटे गए 1408 पेड़ों के बदले वन विभाग को साढ़े चार करोड़ रुपये दे चुका है, लेकिन पांच साल बाद भी वन विभाग न तो जगह चिह्नित कर पाया है और न ही एक पौधा लगा पाने में सफल हो सका है । यूपीएमआरसी ने वर्ष 2019 से आईआईटी के सामने से ट्रैक बिछाने का काम शुरू किया है। 1408 विशालकाय हरे पेड़ मेट्रो के निर्माण में बाधा बन रहे थे। वन विभाग की सशर्त अनुमति के बाद यूपीएमआरसी ने इन हरे पेड़ों को काट दिया था।करीब ढाई साल से आईआईटी से मोतीझील के बीच मेट्रो भी दौड़ रही है। हरियाली बढ़ाने के लिए 20 जुलाई को जिले में 42.87 लाख पौधे लगाए जाएंगे। यूपीएमआरसी ने वर्ष 2019 से आईआईटी के सामने से ट्रैक बिछाने का काम शुरू किया है। 1408 विशालकाय हरे पेड़ मेट्रो के निर्माण में बाधा बन रहे थे। वन विभाग की सशर्त अनुमति के बाद यूपीएमआरसी ने इन हरे पेड़ों को काट दिया था।पनकी औद्योगिक क्षेत्र में एलएमएल चौराहे से शुरू होने वाली ग्रीनबेल्ट में लगाए जाने के लिए एक साल पहले आए पौधे रखे-रखे सूख गए। नगर निगम ने ठेका देने के बाद दोबारा इस तरफ देखा तक नहीं। यह ग्रीनबेल्ट करीब चार किलोमीटर लंबी है। हर साल इस ग्रीनबेल्ट में पौधे रोपे जाते हैं। इसके लिए नगर निगम की ओर से ठेका दिया गया है। साथ ही माली की व्यवस्था भी की गई है। बुधवार को मौके पर जाकर देखा गया, तो पौधे काली पॉलिथीन में रखे-रखे सूख गए थे। वन विभाग के नियमों के अनुसार करीब एक हरे पेड़ को काटने पर उसके बदले दस पौधे लगाने होते हैं और पांच साल तक उनके संरक्षण की जिम्मेदारी उठानी होती है। वन विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में कार्ययोजना का प्रस्ताव बनाया है, जिससे पौधे लगाए और बचाए जाएंगे। प्रभारी डीएफओ अनिल कुमार द्विवेदी के मुताबिक मेट्रो से 1408 पेड़ों को काटने की क्षतिपूर्ति में मिले 4.5 करोड़ रुपये का इस्तेमाल पौधरोपण कराने और उनके संरक्षण के लिए सीमेंटेड ट्री गार्ड में किया जाएगा। –