September 17, 2024

कानपुर। कोयले से कॉमर्शियल बिजली बनाने का काम पनकी के 660 मेगावाट सुपर क्रिटिकल थर्मल पॉवर प्लांट में अगले दो से तीन दिनों भीतर शुरू हो जाएगा। ऑयल सिंक्रोनाइजेशन की प्रक्रिया देर रात से प्लांट में शुरू हो गई है । इस प्लांट के बनने से कानपुर और आसपास के जिलों में लाइनलॉस की वजह से ट्रांसमिशन से कम वोल्टेज मिलने की समस्या खत्म हो जाएगी। क्योंकि दूर दराज के पॉवर हाउस से ट्रांसमिशन की लाइनों से बिजली आने-जाने में बिजली बर्बाद हो जाती है और वोल्टेज कम होता है। कोयले की खदान तय पनकी के 660 मेगावाट सुपर क्रिटिकल थर्मल पॉवर प्लांट से बिजली का उत्पादन करने के लिए झारखंड की खदान से कोयले की खरीद की आपूर्ति का समझौता हो चुका है।प्लांट प्रबंधन ने 14 करोड़ रुपए की लागत से दो डीजल इंजन खरीदे हैं, जो मालगाड़ी को पनकी धाम रेलवे स्टेशन से अपनी साइडिंग तक आने वाली रेक को लाने और ले जाने का काम करेंगे। एक इंजन पनकी पॉवर प्लांट आ चुका है।बीएचईएल ने 22 किमी की रेलवे लाइन भी रेलवे की संस्था राइट्स से बनवाई है। साइडिंग से पॉवर प्लांट तक करीब छह किमी के रेलवे ट्रैक के अलावा बाकी रेल लाइन परिसर में अलग-अलग हिस्सों तक बिछाई गई है। भीषण गर्मी में बिजली की मांग अधिक बढ़ने पर ट्रांसमिशन सबस्टेशन से केस्को को मिलने वाली बिजली का वोल्टेज कम मिलता है। इससे केस्को को टिपिंग बढ़ाने की तकनीक अपनाई जाती है। अब पूर्वांचल से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीच कानपुर नगर में बिजली उत्पादन का बड़ा केंद्र मिलेगा। यहां से बिजली लाइन पर जाने से लाइनलॉस कम होगा, जिससे वोल्टेज की समस्या न सिर्फ कानपुर बल्कि आसपास के जिलों में खत्म होगी। पनकी पावर प्लांट के मुख्य महाप्रबंधक जीके मिश्रा ने बताया कि ऑयल सिंक्रोनाइजेशन से बिजली बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। दो से तीन दिन के भीतर बिजली बनेगी। इसके एक महीने के भीतर कोयले से बिजली उत्पादन होगा।