संवाददाता।
कानपुर। नगर में गर्मी बढ़ने के साथ-साथ वायरस भी तेजी से अटैक कर रहा है। इन्फ्लूएंजा वायरस के करीब 20 प्रतिशत मरीजों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। कानपुर मेडिकल कॉलेज की हैलट ओपीडी व उर्सला अस्पताल में मरीज पैरों में दर्द और पेट का संक्रमण लेकर आ रहे है। मरीजों में बुखार, खांसी, कमजोरी, सिर दर्द, शरीर दर्द, घबराहट, भूख न लगना, नींद न आने की समस्या आ रही है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. रिचा गिरि ने बताया कि वायरस की चपेट में आने से लोगों को कई तरह की दिक्कते हो रही है। खास कर खांसी काफी लंबे समय तक पीछा नहीं छोड़ रही हैं। इस लिए इसमें लापरवाही बिल्कुल न बरते। लापरवाही करने पर मरीजों की खांसी ठीक होने में 2 से 3 माह तक का समय लग रहा है। वहीं, बुखार की समस्या तो 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाती है। डॉ. गिरि ने बताया कि कभी-कभी यह लापरवाही भारी भी पड़ रही है, जिन लोगों ने लापरवाही बरती उन मरीजों में दिमागी बुखार का अटैक भी पड़ रहा है। आए दिन इमरजेंसी में 5 से 6 मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिनकों दिमागी बुखार का अटैक पड़ा है। डॉ. रिचा गिरि ने बताया कि, इन्फ्लूएंजा वायरस जब अटैक करता है तो सबसे पहले मरीज को तेज बुखार आता है। इसके बाद पेट में संक्रमण फैलने लगता है। इन दिनों जो भी मरीज ओपीडी में आ रहे हैं, उनको पेट में दर्द, लूज मोशन, बुखार की समस्या अधिक है। पेट में संक्रमण होने के कारण मरीज खाने-पीने में भी असमर्थ हो जाता है। ऐसे में उसकी शारीरिक क्षमता कम होती जाती है और मरीज बहुत कमजोर हो जाता है। प्लेटलेट्स भी गिर जाती है। पूरी तरह से बुखार को ठीक होने में लगभग सात दिन से दस दिनों का समय लग रहा है। यदि बीच में दवा छोड़ दी तो बुखार फिर से अटैक कर देता है। अगर बुखार उतर भी जाए तो दवा बंद नहीं करनी है, जब तक शरीर से वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता है तब तक निरंतर दवा का सेवन करते रहे। डॉक्टर के मुताबिक जिन लोगों की शारीरिक क्षमता कमजोर होती है और जो बीपी व शुगर के मरीज होते हैं, उन्हें इस वायरस से बच के रहना होगा। भीड़ भाड़ वाले इलाके में जाने से पहले मास्क जरूर लगा ले, क्योंकि यह वायरस ऐसे मरीजों को जल्दी प्रभावित कर देता है। इसके अलावा छोटे बच्चे यानी कि 15 साल तक के बच्चों में भी यह वायरस जल्दी अटैक करता है।